Uttarakhand: यूं तो भारत की संस्कृति की अगर बात की जाए तो उसमें कई रंग है। उसमें गिद्दा से लेकर कुचिपुड़ी तक ऐसी ऐसी नृत्य विधाएं हैं| जो भारत को पूरे विश्व से अलग करती है। लोक नृत्यों में एक नाम आता है Uttarakhand का छोलियार नृत्य। जिसका 10,000 सालों से भी पुराना इतिहास रहा है।

और एक ऐसा नृत्य जिसमें कई रंग है। इस नृत्य की खासियत यह है कि नृत्यक ढाल और तलवार लेकर नृत्य करते दिखते हैं। और नृत्य की व्यथा यह है कि इसे एक जाति विशेष से जोड़ दिया गया। इतिहास इसका बताता है कि पहले इसको राजपूत किया करते थे जब वह युद्ध से लौटकर अपने घरों में आते थे तो इस नृत्य के जरिए वह लोगों को बताते थे कि उन्होंने किस तरीके से युद्ध को जीता। और यह वही धीरे-धीरे लोगों के लिए मनोरंजन का साधन भी बनता चला गया।Uttarakhand

Uttarakhand के लोगों के सेंटीमेंट से जुड़ा हुआ यह नृत्य है जिसमें कुछ नृत्यक निशान हाथ में लेकर खड़े रहते हैं। कुछ नृत्यक ढोल दमुआ बजाते हैं। और कुछ नृत्यक नृत्य करते हैं। इसी नृत्य को आगे बढ़ाने के लिए इसको बचाने के लिए उत्तराखंड में एक फिल्म बनी जिसका नाम था छोलियार।

इस फिल्म के निर्माता जितेंद्र भट्टी थे। और निर्देशक कमल मेहता थे। फिल्म के गीत इंडियन आईडल विजेता पवनदीप राजन और साधना सरगम द्वारा गाए गए थे। यह फिल्म इतनी ज्यादा खूबसूरत थी की जिसने इसको एक बार देखा तो वह देखता ही रह गया। फिल्म में अभिनेता देव धामी का किरदार दानी राम के बेटे देव राम का था। यह किरदार आपकी आंखों में आंसू ले आता है। एक छोलिया नृत्यक का जीवन और उसकी पीड़ा यह फिल्म दिखाती है। और किस तरीके से देव राम अपने पिता के अधूरे सपने को जीता है यह फिल्म को अगर यह कहा जाए कि आप उत्तराखंड को जानना चाहते है वहां की संस्कृति को जानना चाहते हैं तो यह फिल्म देख लीजिए। इस पर कोई अतिशयोक्ति नहीं होनी चाहिए।
