Breaking
Thu. Jun 19th, 2025

केदारनाथ: केदारनाथ धाम में हुआ हेलिकॉप्टर क्रैश, 44 जवानों ने किया रेस्क्यू पूरा

केदारनाथ: हेलिकॉप्टर क्रैश में मारे गए सात यात्रियों में छह के शव बुरी तरह से जल चुके थे, जिनकी शिनाख्त कर पाना भी मुश्किल था। रेस्क्यू अभियान में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पुलिस सहित अन्य जवानों ने अहम भूमिका रही।

धुंआ..चीखें और राख…केदारनाथ की शांत घाटी एक बार फिर चीख उठी। हेलिकॉप्टर हादसे में कई घरों का सुकून उजड़ गया। 23 महीने की मासूम काशी, फैशन डिजाइनिंग की छात्रा तुष्टि, 44 जवानों ने सात जले हुए शवों को उठाया, लेकिन जख्म इतने गहरे हैं कि पूरा केदारनाथ फिर से सिसक पड़ा है।

हेलिकॉप्टर हादसे के बाद चले रेस्क्यू अभियान में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और पुलिस सहित अन्य जवानों ने अहम भूमिका निभाई। रेस्क्यू अभियान में एनडीआरएफ के 22, एसडीआरएफ के 8, डीडीआरएफ के 6 और पुलिस के 8 जवानों ने अहम भूमिका निभाई। सभी शवों को दुर्गम रास्ते से गौरीकुंड पहुंचाया गया।

दादी-नातिन की दर्दनाक मौत

उत्तर प्रदेश के बिजनौर से विनोदा देवी अपनी नातिन तुष्टि सिंह के साथ बीते शनिवार को केदारनाथ पहुंची थीं। बाबा केदार के दर्शन कर रविवार को वह हेलिकॉप्टर की पहली शटल से गुप्तकाशी लौट रही थीं। हादसे में उनकी दर्दनाक मौत हो गई|

हेलिकॉप्टर हादसे में बिजनौर के नगीना निवासी वकील धर्मपाल सिंह अपनी पत्नी विनोदा देवी, नातिन तुष्टि, पोते ईशान और गोरांश के साथ 13 जून को घर से केदारनाथ यात्रा के लिए रवाना हुए थे। शनिवार को उन्होंने केदारनाथ के दर्शन किए। रविवार सुबह वह हेलिपैड पर पहुंच गए, लेकिन हेलिकॉप्टर में दो लोगों की ही जगह होने से विनोदा देवी व नातिन तुष्टि को उसमें बैठा दिया। धर्मपाल सिंह अपने दोनों पोतों के साथ धाम में ही रुक गये, लेकिन कुछ ही देर में सूचना मिली कि हेलिकॉप्टर हादसा हो गया, जिसमें सभी सात लोगों की मौत हो चुकी है। इसके बाद धर्मपाल सिंह अपने दोनों पोतों के साथ पैदल केदारघाटी के लिए रवाना हुए। बताया जा रहा है कि तुष्टि केदारनाथ यात्रा पर नहीं आना चाहती थी, पर मां ने उसे नानी के साथ जबरन भेजा। वह दिल्ली में फैशन डिजाइनिंग का कोर्स कर रही थी। शर्मिला ने बताया कि जब हम घटनास्थल के पास पहुंचे तो वहां एक बच्ची गिरी हुई थी, जो जिंदा नहीं थी। संभवतः बच्ची हेलिकॉप्टर से गिरकर जमीन में बड़े पत्थर से टकरा गई, जिससे उसकी मौत हो गई। हादसा इतना भयावह था कि आग की लपटों के बीच से कुछ सुनाई नहीं दे रहा था।

16/17 जून 2013 की केदारनाथ आपदा के 12 वर्ष बाद भी हालात नाजुक हैं। केदारघाटी को मिले पुराने जख्म अभी भरे नहीं हैं, उस पर समय-समय पर मिल रहे नये जख्म दर्द को और गहरा कर रहे हैं। वहीं, केदारनाथ तक सुलभ और सरल पहुंच के दावे भी हवाई साबित हो रहे हैं। आपदा की बरसी से ठीक एक दिन पहले गौरीकुंड के गौरी माई खर्क में हुए हेलिकॉप्टर क्रैश ने आपदा के पुराने जख्म हरे कर दिये हैं। यही नहीं, बीते तीन वर्षों में देखें तो केदारनाथ यात्रा में हेलिकॉप्टर क्रैश होने की यह तीसरी घटना है, जिसमें सात लोग मारे गये हैं। इन घटनाओं के लिए भले ही मौसम को दोषी माना गया है, पर हकीकत यह है कि केदारनाथ तक सरल और सुलभ पहुंच के नाम पर जिस तरह से हेलिकॉप्टर की अंधाधुंड उड़ान हो रही हैं, यह उन्हीं का नतीजा है। हेली कंपनियां मुनाफे होड़ में पायलट और यात्रियों की जिदंगी से खेल रही हैं। वहीं, समूची केदारघाटी में आपदा के 12 वर्ष बाद भी सुरक्षा का इंतजाम तो दूर कार्ययोजना तक नहीं बन पाई है।

रविवार को दुर्घटनाग्रस्त हुए आर्यन हेली कंपनी के हेलिकॉप्टर पायलट लेफ्टिनेंट कर्नल (सेनि) राजवीर सिंह चौहान दो माह पूर्व ही जुड़वा बच्चों के पिता बने थे। उनकी पत्नी दीपिका भी सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर कार्यरत हैं। रविवार को सुबह पहली फ्लाइट से पायलट राजवीर सिंह चौहान गुप्तकाशी से केदारनाथ गए थे और वहां यात्रियों के सवार होते ही वापस गुप्तकाशी के लिए उड़े। लेकिन मंजिल से कुछ पहले ही हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, पायलट ने हेलिकॉप्टर को बचाने के लिए नीचे भी उतारा, लेकिन पंखों के पेड़ से टकराने से वह क्रैश हो गया। बताया जा रहा है कि पायलट चौहान, इसी वर्ष आर्यन कंपनी से जुड़े थे और उनके पास केदारनाथ यात्रा में हेलिकॉप्टर उड़ाने का 80 घंटे से अधिक का अनुभव हो गया था। पायलट चौहान दो माह पहले ही जुड़वा बच्चों के पिता बने थे। जयपुर निवासी चौहान की पत्नी सेना में लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर कार्यरत हैं।

Read More

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *