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Uttarakhand News:देहरादून और मसूरी वन प्रभाग में मियावाकी तकनीक से पौधरोपण की प्रस्तावित योजनाएं सवालों में

uttarakhand: देहरादून वन प्रभाग और मसूरी वन प्रभाग में मियावाकी तकनीक से पौधरोपण की प्रस्तावित योजनाएं सवालों में है। मुख्य वन संरक्षक कार्ययोजना ने प्रमुख वन संरक्षक को पत्र भेजा है, इसमें देहरादून वन प्रभाग में योजना को दुनिया का सबसे महंगा पौधरोपण का प्रस्ताव (तीन वर्ष में योजना पर कुल खर्च 52 लाख से अधिक) बताने के साथ मामले की तत्काल जांच कराने की आवश्यकता को बताया था। इसके बाद वन मुख्यालय ने मामले की जांच शुरू कराई है।

मियावाकी तकनीक पौधरोपण की दरें तय की गई है उसमें मियावाकी तकनीक पौधरोपण के लिए पौधे नर्सरी में तैयार किए जाने थे और इसके लिए मैदानी क्षेत्र में प्रति पौधे की दर 10 रुपये रखी गई थी। जबकि इससे 11 गुना से ज्यादा दर का व्यय प्रस्ताव में प्रस्तावित किया गया है।

अधिक दर प्रस्तावित की गई

इस प्रस्ताव से यह भी स्पष्ट है कि विभाग को इतने बड़े स्तर की नर्सरियों पौधशालाओं के होने के बाद क्यों इतने अधिक दर पर बाहर से पौधे क्रय करने का प्रस्ताव किया गया है। यह बात पूरी तरह समझ से परे और संदेहास्पद है और जांच का विषय है।

पत्र में सीसीएफ ने फैंसिंग में होने वाले खर्च पर भी सवाल उठाया है, इसमें कहा गया है कि मैदानी क्षेत्र मे फैंसिंग के लिए प्रति हेक्टेयर करीब 157554 प्रस्तावित किया गया, जबकि देहरादून वन प्रभाग में इससे अधिक दर प्रस्तावित की गई है। ज्ञात हो कि देहरादून वन प्रभाग ने जो योजना बनाई है, उसमें पहले साल 162100, दूसरे और तीसरे वर्ष क्रमश: 3304700 और 314800 व्यय होने की बात कही है।

मसूरी वन प्रभाग की छह रेंजों में सवा चार करोड़ से प्रस्तावित मियावाकी पौधरोपण की योजना पर भी सवाल उठाया गया है। पत्र में कहा गया है कि मियावाकी पौधरोपण में 7 से 8 फीट की ऊंचाई के पौधे 100 से 400 प्रति पौध की दर से क्रय प्रस्तावित की गई है। जो अत्यंत आपत्तिजनक है। इसके अलावा प्रारंभ में सात- आठ फीट के पौधे प्रारंभ में ही रोपित करना हास्यास्पद है। क्योंकि इस तकनीक का आधार ही नजदीक रोपण कर पारस्परिक प्रतिस्पर्द्धा द्वारा दो से तीन वर्षों में इस ऊंचाई तक लाना है। इससे सिद्ध होता है कि बिना तकनीकी ज्ञान, विचार-विमर्श कर सरकारी धनराशि का अपव्यय अनुचित दरों में प्रस्ताव सृजित किया गया।

पांच साल में 15 लाख खर्च

मुख्य वन संरक्षक के पत्र में कहा गया है कि देहरादून जिले के कालसी में उच्चकोटी का एक हेक्टेयर में मियावाकी वन पर पांच साल में 1483651 खर्च हुई है, यह दोनों प्रस्ताव से काफी कम है। ऐसे में वन अनुसंधान वृत्त ने प्रति हेक्टेयर की मियावाकी रोपण की दरें तय की है, उन दरों से व्यय कराना सुनिश्चित कराया जाए।

प्रमुख वन संरक्षक धनंजय मोहन का कहना है कि प्रकरण में जांच कराने के साथ आवश्यक कार्रवाई की जा रही है। वहीं, देहरादून वन प्रभाग के डीएफओ नीरज शर्मा का कहना है कि मानकों के हिसाब से योजना को तैयार किया गया। डीएफओ मसूरी वन प्रभाग अमित कंवर का कहना है कि सीसीएफ कार्ययोजना के योजना को लेकर सवाल थे, उसके बाद नए सिरे से योजना को तैयार किया जा रहा है, जो कमियां होगी उसे सुधार लिया जाएगा।

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