ऑपरेशन सिंदूर: आतंकवाद के खिलाफ भारत का सटीक और सफल जवाब”


एक ऐसा सैन्य अभियान जिसने बदल दी दक्षिण एशिया की रणनीतिक दिशा
ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) एक स्व-नियंत्रित, त्रि-सेवा आधारित सैन्य अभियान था, जिसे भारत ने 7 मई 2025 को पाकिस्तान और पाक-प्रशासित कश्मीर में आतंकवादी ढांचों पर हमला करने के लिए शुरू किया था यह कदम पीहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में 26 नागरिकों की हत्या के जवाब में उठाया गया था ।
लक्ष्य व रणनीति
पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में स्थित नौ आतंकी ठिकानों और कैंपों को निशाना बनाया गया।
लक्ष्य समूहों में लश्कर-ए-तैबा, जैश-ए-मोहम्मद, और हिज्बुल-मुजाहिदीन शामिल थे ।
प्रिसिजन हथियार: ब्रह्मोस मिसाइल, स्कैल्प, AASM हैमर बम, अमेरिकी Excalibur बैलिस्टिक गोले, SkyStriker लूटरिंग म्यूनिशन्स – ये सभी तकनीक का इस्तेमाल अभियान में हुआ।

समय रेखा
7 मई 2025 की रात: भारत ने एतिहासिक और तेज गति के साथ अभियान शुरू किया, जिसकी समयावधि लगभग 23 मिनट रही।
इसके तुरंत बाद पाकिस्तान की ओर से हवाई और मिसाइल जवाब शुरू हो गया, लेकिन चार दिनों में यह मोर्चा लगभग शांत हो गया
पाकिस्तान, चीन और तुर्की के योगदान का दावा
भारतीय सेना के डीप्टी चीफ लेफ्टिनेंट जनरल राहुल आर सिंह ने बताया कि चीन ने पाकिस्तान को लाइव सैटेलाइट डेटा प्रदान किया था और तुर्की ने ड्रोन सपोर्ट दिया।
इस पर पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असिम मुनीर ने इन आरोपों को गलत बताया,
चीन ने भी इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि ऐसी कोई मदद नहीं दी गई।

परिणाम व सफलता
भारत ने 100+ आतंकियों के ढांचों को नष्ट करने का दावा किया।
रक्षा सचिव आर.के. सिंह ने स्पष्ट किया कि कोई राफेल विमान नहीं खोया गया और पाकिस्तान को भारी नुकसान हुआ।
फ्रांसीसी कंपनी ने तबाह होने का दावा खारिज किया और बताया कि हुआ तो तकनीकी खराबी के कारण।
लोक-शक्ति: DRDO के अनुसार Solar Defence और BrahMos जैसे घरेलू प्रणालियों ने चीनी-सिस्टम्स को पीछे छोड़ा।
साइबर मोर्चे पर: लगभग दो लाख साइबर हमले भारतीय पॉवर ग्रिड पर रोके गए,
रणनीतिक असर
भारत ने तत्काल 52 रक्षा सैटेलाइट लांच की योजना बनाई,
रक्षा अधिग्रहण परिषद ने लगभग एक लाख करोड़ की खरीद योजनाएँ स्वीकृत की, जिसमें स्पाय प्लेन, एयर डिफेंस सिस्टम, और समुद्री सुरक्षात्मक प्रणाली शामिल हैं।
भारत की सिस्टम आत्मनिर्भरता और अंतर-सेवा सहयोग को वैश्विक स्तर पर मान्यता मिली।
क्या ये अभियान सफल था?
भारतीय दृष्टिकोण: त्रि-सेवा समन्वयन, उच्च-प्रोफाइल तकनीक का उपयोग, आतंकवादी ठिकानों का विनाश, भारतीय वायु-राज्य की रक्षा आदि मापदंडों में यह अभियान ‘सफल’ माना गया ।
पाकिस्तानी पहलू: उन्होंने दावा किया कि भारत ने नागरिक इलाकों को निशाना बनाया और वायु-सीमा का उल्लंघन किया। ऐसे में पाकिस्तान की ओर से सैन्य व राजनयिक मोर्चे पर जवाबी कार्रवाई हुई, लेकिन ऐसे निष्कर्ष सामने आए कि भारत की तैयारियों ने पाकिस्तानी मोर्चे को दबाव में रखा ।
अंतर्राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य: विश्लेषकों ने इसे एक ‘नया सामान्य’ (new normal) कहा – जहां अब आतंकवादिक हमलों के जवाब में उच्च-प्रभावी, सीमित एवं असम संवेदनशील हमले अपेक्षित हैं ।

प्रमुख वक्तव्य
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह: “पैसटाइम सिर्फ भ्रम है, सतर्कता बनाए रखनी है।”
रक्षा सचिव आर.के. सिंह: “कोई राफेल विमान नहीं गिरा, पाकिस्तान को भारी कीमत चुकानी पड़ी।”
जनरल राहुल आर सिंह: “चीन और तुर्की का संलिप्तता थी, लेकिन हमने उन्हें नाकाम किया।”
निष्कर्ष
ऑपरेशन सिंदूर एक तकनीकी और रणनीतिक मोड़ साबित हुआ, जिसमें भारत ने अपने आतंकवाद के खिलाफ ‘जवाब’, क्षेत्रीय प्रभुत्व, आत्मनिर्भरता, साइबर-सुरक्षा, और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का सामंजस्य दिखाया। चाहे वास्तविक नुकसान की मात्रा व बहस कुछ भी हो, हमारे रक्षा ढांचे, प्रणालियों और युद्ध-सामर्थ्य में यह अभियान एक निर्णायक सफलता रहा, जिसने भविष्य की तैयारियों को नए आयाम दिए।