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भारत का अगला उपराष्ट्रपति कौन बनेगा?  

भारत में उपराष्ट्रपति का पद अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। उपराष्ट्रपति न केवल राज्यसभा के सभापति होते हैं, बल्कि जरूरत पड़ने पर राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में कार्यकारी राष्ट्रपति की भूमिका भी निभाते हैं। इसलिए जब यह पद खाली होता है या नया चुनाव आता है, तो पूरे देश की नज़र इस पर टिक जाती है।

पृष्ठभूमि: क्यों हुआ उपराष्ट्रपति चुनाव?

21 जुलाई 2025 को तत्कालीन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों से इस्तीफा दे दिया। उनका कार्यकाल अभी पूरा भी नहीं हुआ था, लेकिन अचानक इस्तीफा देने के बाद यह पद रिक्त हो गया। संविधान के अनुसार, जब भी उपराष्ट्रपति का पद खाली होता है तो छह महीने के अंदर-अंदर नया चुनाव कराना अनिवार्य है।

इसी कारण से 9 सितंबर 2025 को उपराष्ट्रपति चुनाव आयोजित किया जा रहा है। इस बार मुकाबला बेहद दिलचस्प और ऐतिहासिक माना जा रहा है क्योंकि दोनों प्रमुख गठबंधनों — एनडीए और इंडिया ब्लॉक — ने अपने-अपने दमदार उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं।

उम्मीदवार कौन हैं?

1. सी. पी. राधाकृष्णन (NDA उम्मीदवार)

वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं।

लंबे समय से भाजपा से जुड़े रहे हैं और संगठन में गहरी पकड़ रखते हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें “खेलों में रुचि रखने वाले लेकिन राजनीति में खेल न खेलने वाले” नेता बताया है।

दक्षिण भारत से आते हैं, जिससे भाजपा को दक्षिणी राज्यों में राजनीतिक संदेश देने का मौका मिलता है।

2. बी. सुदर्शन रेड्डी (INDIA गठबंधन उम्मीदवार)

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज रहे हैं।

उन्हें एक प्रगतिशील न्यायाधीश और जनता की आवाज़ उठाने वाले के रूप में जाना जाता है।

विपक्ष ने उन्हें “कानून और न्याय की समझ रखने वाले, निष्पक्ष छवि वाले उम्मीदवार” के रूप में पेश किया है।

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के असदुद्दीन ओवैसी ने भी उनके समर्थन की घोषणा की है।

चुनाव की प्रक्रिया कैसे होती है?

भारत के राष्ट्रपति की तरह उपराष्ट्रपति का चुनाव भी प्रत्यक्ष रूप से जनता द्वारा नहीं किया जाता, बल्कि यह संसद के दोनों सदनों के सांसदों द्वारा किया जाता है।

कौन वोट करता है?
लोकसभा और राज्यसभा के सभी चुने हुए और मनोनीत सदस्य मतदान करते हैं।

कैसे वोट होता है?
चुनाव “प्रमाणिक प्रतिनिधित्व” प्रणाली से होता है। इसमें सांसद उम्मीदवारों को प्राथमिकता क्रम (1, 2, 3…) में अंकित करते हैं।

जीत का नियम
अगर किसी उम्मीदवार को पहले ही दौर में पर्याप्त मत मिल जाते हैं तो वह विजेता घोषित कर दिया जाता है। अगर नहीं मिलते, तो सबसे कम मत पाने वाले उम्मीदवार को बाहर कर दिया जाता है और उनके वोट दूसरी प्राथमिकताओं में बांट दिए जाते हैं। यह प्रक्रिया तब तक चलती है जब तक कोई उम्मीदवार जीत का कोटा हासिल नहीं कर लेता।

राजनीतिक समीकरण

NDA का पक्ष

एनडीए (भारतीय जनता पार्टी और उसके सहयोगी) के पास संसद में बहुमत है। लोकसभा और राज्यसभा की कुल संख्या को देखें तो यह गठबंधन विपक्ष से मजबूत स्थिति में है। इस लिहाज़ से एनडीए उम्मीदवार सी. पी. राधाकृष्णन की जीत की संभावना अधिक मानी जा रही है।

विपक्ष का पक्ष

INDIA गठबंधन ने सुदर्शन रेड्डी को उतारकर एक मजबूत संदेश दिया है। वे राजनीतिक पृष्ठभूमि से नहीं आते बल्कि न्यायपालिका से जुड़े रहे हैं। विपक्ष चाहता है कि एक “निष्पक्ष और न्यायप्रिय” चेहरा संसद के उच्च सदन का सभापति बने। विपक्ष का दावा है कि वे जनता के अधिकारों और लोकतंत्र की मजबूती के लिए बेहतर विकल्प होंगे।

AIMIM का समर्थन

ओवैसी की पार्टी AIMIM ने सुदर्शन रेड्डी को समर्थन दिया है। यह समर्थन विपक्ष के लिए नैतिक रूप से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

विवाद और आरोप

भाजपा ने विपक्ष पर हमला करते हुए कहा है कि सुदर्शन रेड्डी की मुलाकात लालू प्रसाद यादव से हुई थी, जो राजनीतिक गठजोड़ का प्रमाण है। भाजपा का कहना है कि विपक्ष ने न्यायपालिका की गरिमा को भी राजनीति में घसीट लिया है।

क्या कहता है गणित?

संसद की संख्या के हिसाब से देखें तो एनडीए की बढ़त साफ नज़र आती है। विपक्ष भले ही एकजुट होकर लड़ रहा है, लेकिन उसके पास उतने सांसद नहीं हैं कि वह आसानी से एनडीए को टक्कर दे सके।

हालांकि राजनीति में अक्सर क्रॉस वोटिंग (मतदान के समय सांसदों द्वारा अपनी पार्टी की लाइन तोड़कर दूसरी तरफ वोट डालना) भी देखने को मिलती है। अगर ऐसा हुआ तो मुकाबला और रोमांचक हो सकता है।

उपराष्ट्रपति का महत्व

उपराष्ट्रपति राज्यसभा के सभापति होते हैं। यानी उच्च सदन की कार्यवाही का संचालन उन्हीं की ज़िम्मेदारी होती है।

अगर किसी कारणवश राष्ट्रपति का पद खाली हो जाए, तो उपराष्ट्रपति कार्यकारी राष्ट्रपति बनते हैं।

इसलिए यह पद केवल “औपचारिक” नहीं बल्कि बेहद अहम है।

जनता की नज़र क्यों टिकी है इस चुनाव पर?

भारत की राजनीति इस समय बेहद संवेदनशील दौर से गुजर रही है। एक तरफ एनडीए है, जो लगातार तीसरी बार केंद्र की सत्ता में है और मजबूत स्थिति में है। दूसरी तरफ विपक्ष ने INDIA गठबंधन बनाकर नई एकजुटता दिखाई है।

इस उपराष्ट्रपति चुनाव को लोग सिर्फ एक संवैधानिक पद का चुनाव नहीं मान रहे, बल्कि इसे 2029 के आम चुनाव की तैयारी और दोनों गठबंधनों की ताकत की परीक्षा भी माना जा रहा है।

 कौन बनेगा अगला उपराष्ट्रपति?

अगर संख्याबल और राजनीतिक समीकरणों की बात करें तो सी. पी. राधाकृष्णन का पलड़ा भारी है। एनडीए के पास पर्याप्त सांसद हैं और उनकी जीत लगभग तय मानी जा रही है। लेकिन राजनीति में कुछ भी निश्चित नहीं होता। विपक्ष का दावा है कि वे लोकतंत्र के लिए मजबूत लड़ाई लड़ रहे हैं और सुदर्शन रेड्डी जैसे उम्मीदवार से संसद को नई दिशा मिल सकती है।

अंततः 9 सितंबर 2025 की मतगणना के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि भारत का नया उपराष्ट्रपति कौन होगा।

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