एम.आई. राज : भोजपुरी सिनेमा के जुनूनी निर्देशक

भोजपुरी सिनेमा ने पिछले कुछ वर्षों में अपनी अलग पहचान बनाई है। इस पहचान को मजबूत करने में कई कलाकारों और निर्देशकों का योगदान रहा है। इन्हीं में से एक नाम है एम.आई. राज (M.I. Raj) का, जिन्हें उनकी फिल्मों और उनकी मेहनत के लिए जाना जाता है। एम.आई. राज ने अपने निर्देशन से दर्शकों को अलग-अलग कहानियाँ दी हैं, जिनमें मनोरंजन के साथ-साथ सामाजिक संदेश भी छिपे रहते हैं।
एम.आई. राज का फिल्मी सफर आसान नहीं रहा। उन्होंने सबसे पहले हिंदी सिनेमा में करीब 30 से 35 फिल्मों में सह-निर्देशक (Associate Director) के रूप में काम किया। इस अनुभव ने उन्हें फिल्म निर्माण की बारीकियों को समझने का मौका दिया। लंबे समय तक हिंदी फिल्मों में अनुभव लेने के बाद उन्होंने भोजपुरी सिनेमा में बतौर इंडिपेंडेंट डायरेक्टर काम करना शुरू किया।
भोजपुरी इंडस्ट्री में बतौर निर्देशक उनकी पहली फिल्म थी “अपन माटी अपन देश” (2008)। यह फिल्म उनके करियर का टर्निंग पॉइंट साबित हुई। रिलीज़ के बाद इस फिल्म ने न सिर्फ दर्शकों का दिल जीता बल्कि पूरे भोजपुरी सिनेमा में तहलका मचा दिया। इस फिल्म के लिए एम.आई. राज को 11 अवॉर्ड्स मिले, जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है। इस फिल्म ने उन्हें भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री का जाना-पहचाना चेहरा बना दिया।
इसके बाद 2011 में उनकी फिल्म केहु हमसे जीत ना पाई ने भोजपुरी दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। इसके बाद कट्टा तानल दुपट्टा पर (2014) और आतंकवादी (2017) जैसी फिल्मों से वे और ज्यादा चर्चा में आ गए। उनकी फिल्मों की सबसे खास बात यह है कि वह केवल मनोरंजन पर ध्यान नहीं देते, बल्कि दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर देने वाले मुद्दे भी उठाते हैं।
आतंकवादी फिल्म ने खासतौर पर लोगों का ध्यान खींचा क्योंकि इसमें समाज के संवेदनशील पहलुओं को दिखाया गया था। इसके बाद 2020 में आई एक साजिश जाल ने भी दर्शकों को अपनी कहानी से जोड़े रखा। उनकी एक और चर्चित फिल्म आयी मिलन की रात भी लोगों तक पहुँची, जिसने उनके निर्देशन की विविधता को साबित किया।
एम.आई. राज की फिल्मों में भोजपुरी संस्कृति और समाज की झलक साफ दिखाई देती है। वे अपने किरदारों और कहानियों को इस तरह पेश करते हैं कि दर्शक उनसे जुड़ाव महसूस करें। यही कारण है कि उनकी फिल्में सिर्फ मनोरंजन तक सीमित नहीं रहतीं, बल्कि दर्शकों के दिलों में जगह बना लेती हैं।
उनकी खासियत यह भी है कि वे नए कलाकारों को मौका देने से नहीं हिचकिचाते। उनका मानना है कि हर किसी में टैलेंट होता है और सही मंच मिलने पर वह चमक सकता है। यही वजह है कि वे अपनी फिल्मों में नए चेहरों को भी जगह देते हैं।
आज एम.आई. राज को भोजपुरी सिनेमा का एक जुनूनी निर्देशक माना जाता है। उन्होंने साबित कर दिया है कि अगर मेहनत और लगन हो तो किसी भी इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाई जा सकती है। उनकी कहानी उन युवाओं के लिए प्रेरणा है जो फिल्मी दुनिया में कदम रखना चाहते हैं।
भोजपुरी फिल्मों को एक नए स्तर पर पहुँचाने में एम.आई. राज का योगदान हमेशा याद किया जाएगा। उनकी रचनात्मक सोच और कहानियों को प्रस्तुत करने का अनोखा अंदाज दर्शकों को लंबे समय तक प्रभावित करता रहेगा।


