“दवाई या ज़हर? — बच्चों की जान ले रही कफ सिरप विवाद की पोल”
बच्चों का खांसी या जुकाम दिखते ही अक्सर माता-पिता कफ सिरप देने लगते हैं। लेकिन हाल के दिनों में ‘कफ सिरप विवाद’ ने एक भयानक रूप ले लिया है, जिसमें कई मासूम बच्चों की मौत की खबरें आई हैं। यह लेख उसी विवाद— इसके कारणों, पोस्टमार्टम, घटनास्थल, कानूनी कार्यवाही और सावधानियों — की जानकारी सरल हिंदी में प्रस्तुत करता है।
- विवाद का आरंभ: किस कफ सिरप पर शक है?
मध्य प्रदेश और राजस्थान में हाल ही में कुछ बच्चों की मौत की जांच में पाया गया कि उनमें Coldrif नामक कफ सिरप का सेवन हुआ था, जो Sresan Pharma द्वारा तमिलनाडु में निर्मित था।
स्वास्थ्य मंत्रालय और राज्य स्वास्थ्य विभागों की जाँच में पाया गया कि इस सिरप में diethylene glycol (DEG) नामक विषैला रसायन (industrial solvent) सामान्य से बहुत अधिक मात्रा में मौजूद था।
DEG आमतौर पर औद्योगिक प्रक्रियाओं में उपयोग होने वाला रसायन है, जिसे कभी-कभी नाजायज रूप से दवाइयों की तरल सामग्री (excipient) में मिलाया जाता है, जिससे विषाक्तता उत्पन्न हो सकती है।

- अब तक कितनी मौतें हुई हैं और कहां-कहां?
नीचे घटनाओं का क्रम, स्थान, और मृत बच्चों की संख्या का संक्षिप्त विवरण है:
| राज्य / स्थान | अनुमानित बच्चों की मौत | विवरण / टिप्पणी |
| मध्य प्रदेश (Chhindwara, Betul व अन्य जिले) | लगभग 16–19 बच्चे मृत | रिपोर्ट्स के अनुसार, Coldrif के सेवन के बाद बच्चे किडनी फेल होने से दम तोड़ते गए। |
| राजस्थान | लगभग 11 बच्चे मृतु् | राजस्थान में Kaysons Pharma से जुड़े सिरप पर शक जताया गया है और फार्मेसी कंट्रोलर निलंबित किए गए हैं। |
| अंतरराष्ट्रीय मामला – The Gambia | लगभग 70 बच्चे मृत | पहले भी भारत-निर्मित कफ सिरपों से Gambian बच्चों की मौत हुई थी। |
| अंतरराष्ट्रीय मामला – Uzbekistan | लगभग 20 बच्चे मृत | भारत के Marion Biotech द्वारा बनाये गए Dok-1 Max सिरप से मौतें हुईं। |
नोट: अलग-अलग मीडिया रिपोर्टों में मृतक बच्चों की संख्या में थोड़ा अंतर पाया जाता है। उदाहरणतः एक रिपोर्ट कहती है मध्य प्रदेश में मौतों की संख्या 17 हो गई है।

- कैसे हुई मौत? — विज्ञान और चिकित्सा दृष्टिकोण
- बच्चों ने जब Coldrif सिरप लिया, तो प्रारंभ में हल्की बुखार, उल्टी, मितली जैसे लक्षण दिखे। कुछ समय बाद, उनकी मूत्र निकलना बंद हो गया, यानी वे पेशाब नहीं कर पा रहे थे — जो किडनी की गम्भीर समस्या का संकेत है।
- चिकित्सीय परीक्षण (renal biopsy) में nephrons (किडनी के वह छोटे भाग जो खून छानते हैं) को भारी क्षति मिली पाई गई।
- विषाक्त DEG (diethylene glycol) की उपस्थिति, जो किडनी को जहरीला कर देता है, को मृत्यु का मुख्य कारण माना गया है।
- DEG के कारण शरीर में विषाक्त प्रभाव होते हैं — जैसे कि तीव्र किडनी विफलता, मेटाबॉलिक एसिडोसिस, मल्टी-ऑर्गन फेलियर और यदि इलाज न हो, तो मृत्यु।
- घटनाक्रम और समयरेखा
2 सितंबर 2025: मध्य प्रदेश के Parasia क्षेत्र में प्रथम मौत (बालक शिवम, 4 वर्ष) दर्ज हुई।
- उसके बाद, क्रमशः 5, 7, 13, 15, 16 सितंबर को अन्य बच्चों की मौत हुई (जिनके नामों में Vidhi, Adnan, Usaid, Rishika, Shreya शामिल हैं)।
- 18 सितंबर तक स्वास्थ्य विभाग को इस मामले की गंभीरता का एहसास हुआ, और उन्होंने जाँच शुरू की।
- परीक्षण रिपोर्ट में DEG की उच्च मात्रा मिलने के बाद, राज्य सरकार ने Coldrif सिरप की बिक्री पर रोक लगा दी।
- डॉक्टर Praveen Soni को निलंबित और बाद में गिरफ्तार किया गया क्योंकि वह उस इलाके में इसे लिखने वाले चिकित्सकों में से था।
- केंद्रीय सरकार ने निर्माता कंपनी Sresan Pharma के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया है।
- जो कमजोरियां सामने आईं – जिम्मेदार कौन?
(अ) दवा निर्माण व गुणवत्ता नियंत्रण में चूक
- कंपनी द्वारा Good Manufacturing Practices (GMP) का पालन न करना।
- कच्चे माल (excipient) में जोड़-तोड़ या मिलावट। उदाहरणतः DEG को सुरक्षित solvent की जगह उपयोग करना।
- गुणवत्ता जाँच नहीं करना, या अधूरी जाँच करना।
(ब) नियामक प्रणाली में कमी
- दवा नियंत्रक (Drug Controller) या FDA अधिकारियों की लापरवाही।
- निरीक्षण प्रक्रिया कमजोर होना।
- दोषपूर्ण दवाओं की समय पर बरामदगी और वापसी न करना।
(स) डॉक्टरों और फार्मेसियों की भूमिका
- बिना पर्याप्त चेतावनी या परीक्षण के बच्चों को यह सिरप लिख देना।
- डॉक्टर और फार्मासिस्टों में जागरूकता की कमी।
- सरकार व अभियोजन की कार्रवाई
- सरकार ने Coldrif सिरप की बिक्री पर रोक लगाई और अन्य उत्पादों की भी जाँच शुरू की।
- Sresan Pharma के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया गया।
- कुछ अधिकारियों को निलंबित किया गया है।
- मध्य प्रदेश सरकार ने मृत बच्चों के परिजनों को मुआवजे की घोषणा की (4 लाख रुपए प्रति मृतक बच्चा) और अस्पताल छोड़ने वाले बच्चों का उपचार मुफ्त करने का निर्णय किया।
- एक विशेष जांच टीम (SIT) गठित की गई है और दवाओं की आपूर्ति श्रृंखला की जाँच की जा रही है।
- पहले भी ऐसे मामले हो चुके हैं — एक ग्लोबल नजर
- The Gambia (2022): भारत की Maiden Pharmaceuticals द्वारा बनाए गए चार कफ सिरपों के कारण लगभग 70 बच्चों की मौत हुई थी।
- Uzbekistan (2022-23): Marion Biotech द्वारा डॉ-1 मैक्स सिरप के सेवन से लगभग 20 बच्चों की मौत हुई थी।
- भारत में भी पहले कुछ अन्य स्थानीय मामलों में, कफ सिरपों में DEG या अन्य मिलावट पाए जाने की खबरें रही हैं।
- ये सभी उदाहरण दवा सुरक्षा व्यवस्था की कमजोरी को उजागर करते हैं।

- माता-पिता व डॉक्टरों के लिए सावधानियाँ
- स्वयं से न दें सिरप — बिना डॉक्टर की सलाह न दें।
- लेबल और सामग्री पढ़ें — दवा की सामग्री में किसी industrial नाम का रसायन दिखे तो सावधान हो जाएँ।
- मात्रा का विशेष ध्यान रखें — बच्चों को vuxर मात्रा न दें।
- संकेतों पर ध्यान दें — यदि उल्टी, कम पेशाब, सूजन या कमजोरी हो, तो तुरंत अस्पताल ले जाएँ।
- सरकारी अपडेट देखें — स्वास्थ्य विभाग की सलाह व चेतावनियों का पालन करें।
- चिकित्सक और फार्मासिस्टों को प्रशिक्षण — दवाओं की खुराक, जोखिम और विषाक्तता के बारे में जागरूक रहना चाहिए।
यह विवाद सिर्फ एक कंपनी या दवा की समस्या नहीं है, बल्कि दवा निर्माण, नियामक नियंत्रण, डॉक्टरों की जिम्मेदारी और हमारी स्वास्थ्य प्रणाली की कमजोरी का चिन्ह है। यदि समय रहते कार्रवाई न हुई, तो और मासूमों की जिंदगियाँ खतरे में रहेंगी। इस विषय पर सच सामने लाना, दोषियों को सजा देना और पुनरावृत्ति को रोकने के लिए मजबूत नीतियाँ बनाना आज का जरूरी कदम है।






