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Thu. Mar 13th, 2025

चमोली हिमस्खलन से प्रभावित मज़दूरों के सामने नई मुसीबत, घर जानें तक के नहीं है पैसे

चमोली हिमस्खलन से सुरक्षित निकाले गए 44 श्रमिकों को सेना अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अस्पताल ने श्रमिकों की हालत में सुधार देखकर उनकी छुट्टी कर दी है। लेकिन अब श्रमिकों के सामने एक बड़ी समस्या खड़ी हो गई है।

एक डिजिटल चैनल को बताते हुए उन्होंने कहा कि हमारे सारे पैसे बर्फ के नीचे दब गए हैं। अब हमारे पास घर जाने के भी पैसे नहीं हैं। हालांकि कंपनी ने श्रमिकों को देहरादून तक जाने की सुविधा उपलब्ध करा दी है।

जयेंद्र प्रसाद जो की एक पेशे से वेल्डर है. जयेंद्र बिहार के मूल निवासी हैं. एक चैनल को बताते हुए श्रमिकों ने कहा कि –  

“हमारे पास पैसे नहीं हैं। हमारा जो भी सामान है वो बारिश में दब गया। कंपनी ने देहरादून तक जाने की व्यवस्था कर दी है लेकिन अब आगे क्या होगा वो भगवान भरोसे”

जितेंद्र कुमार जो बिहार के मूल निवासी है उन्होंने कहा है की “सारा सामान हिमस्खलन में दब गया घर जाने के लिए एक भी पैसे नहीं हैं। उम्मीद है कि आगे भी कंपनी ही व्यवस्था करेगी। भगवान का शुक्र है कि हम बच गए”

मनु शर्मा (प्रबंधक कार्यदायी कंपनी) – “श्रमिकों को ज्योतिर्मठ तक जाने की सुविधा की गई है। हरिद्वार से कंपनी और भी सुविधाएँ मुहैया कराएगी”

चंद्रशेखर वरिष्ठ, एसडीएम ज्योतिर्मठ –

“मज़दूरों को कोई भी असुविधा नहीं होगी। कंपनियों को भी उसको सुरक्षित घर भेजने के लिए कहा जाएगा”

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बचाव अभियान का जायजा लिया और रेस्क्यू अभियान चलाया। वही मुख्यमंत्री ने एक्स पर पोस्ट करके बताया कि प्रधानमंत्री मोदी से बात हुई है। उन्होंने बचाव के लिए चलाए जा रहे रेस्क्यू ऑपरेशन की जानकारी ली है।

क्यों टूट रहे हैं ग्लेशियर

जलवायु परिवर्तन- मानव गतिविधियों के कारण ग्रीनहाउस गैसों के प्रभाव ज्यादा बढ़ रहे हैं जिसके कारण ग्लेशियर पिघल रहे हैं। अगर ऐसे ही मानव ज्यादा ग्रीनहाउस गैसों का उपयोग करता रहा तो भविष्य में और भी व्यापक परिणाम देखने को मिल सकते हैं। जलवायु परिवर्तन के डेटा के अनुसार सबसे ज्यादा ग्रीनहाउस गैस अमेरिका उत्पादित करता है। यही दूसरे नंबर पर चीन है।

उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित माणा गाँव में शुक्रवार को भारी बारिश के कारण हिमस्खलन हो गया था। हिमस्खलन में लापता हुए चार मज़दूरों के शव बरामद किए गए थे। जिसके साथ रेस्क्यू ऑपरेशन खत्म कर दिया गया। जबकि हिमस्खलन की इस घटना में आठ मज़दूरों की मौत हो गई है तो वहीं 46 की जान रेस्क्यू ऑपरेशन में बचा ली गई है। शुक्रवार को भारत-चीन सीमा पर स्थित जिला चमोली के माणा गाँव के पास हुए भीषण हिमस्खलन में 54 मज़दूर फंस गए थे। जिसमें से आठ की जान चली गई थी।

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