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महिलाओं के संघर्षों से प्रेरित संवेदनशील फिल्म घुघुति

घुघुति: उत्तराखंड की धरती पर बन रही है एक संवेदनशील फिल्म, जो छू जाएगी आपके दिल को

गिलबॉय्स मोशन पिक्चर्स के बैनर तले बन रही फिल्म घुघुति की शूटिंग इन दिनों मुरसौन गांव में हो रही है। इससे पहले फिल्म की शूटिंग बडावे गांव में चल रही थी। यह फिल्म एक गहरी सामाजिक संवेदना और महिला संघर्ष की कहानी को केंद्र में रखती है।

इस फिल्म में मुख्य किरदार निभा रहे हैं अभिनेता देवा धामी, जो मेघा कुक्साल के साथ भूमिका में नजर आएंगे। फिल्म का निर्देशन कर रहे हैं भोजपुरी और हिंदी सिनेमा के जाने-माने निर्देशक एम.आई. राज। वहीं, फिल्म के निर्माता हैं दीप गिल। कलाकारों की बात करें तो जनार्दन उप्रेती , देबू रौतेला और विशाल जैसे नाम फिल्म को मजबूती प्रदान करते हैं।

एक संघर्षशील पत्नी की मार्मिक कहानी
फिल्म घुघुति एक विवाहित जोड़े की कहानी है, जिसमें पत्नी का संघर्ष केंद्र में है। उसका पति शराब का आदी है और दिन-रात नशे में डूबा रहता है। इस नशे की आदत के कारण पत्नी की जिंदगी नर्क बन जाती है। जिसका पति शराब के चक्कर में अपने जीवन की सारी जमा पूंजी, जमीन-जायदाद बेच देता है, यहां तक कि अपनी अस्मिता भी खो बैठता है ।

गर्भावस्था की हालत में जब गंगा का दर्द असहनीय हो जाता है, तो वह अपने पति को छोड़ देती है। इसके बाद पति को आत्मबोध होता है, और वह पत्थर तोड़कर जीवन को नई दिशा देने का निर्णय लेता है। वह अपनी पत्नी को वापस लाने की कोशिश करता है, लेकिन हालात कुछ और ही करवट ले चुके होते हैं।

उत्तराखंड की संस्कृति की अनोखी प्रस्तुति
यह फिल्म केवल एक महिला की कहानी नहीं, बल्कि आत्मबोध और सामाजिक परिवर्तन की प्रेरणादायक कहानी है। उत्तराखंड की कुमाऊंनी, गढ़वाली या जौंसारी फिल्मों से यह बिल्कुल अलग है। इसकी कहानी एकदम ताजगी से भरी और अलग पहचान वाली है।

फिल्म में महिला संघर्ष, आत्म-साक्षात्कार और हास्य का ऐसा मिश्रण देखने को मिलेगा, जो दर्शकों को हंसाने के साथ-साथ रुला भी देगा। देवा धामी द्वारा निभाया गया शराबी का किरदार दर्शकों को गहराई से छूएगा – वे कभी हसेंगे, कभी रोएंगे।

पुरानी यादों का एहसास
फिल्म में 90 के दशक के स्कूटर, पुरानी कारें और ग्रामीण परिवेश को विशेष रूप से दिखाया गया है – वो चीज़ें जिन्हें लोग आज भूलते जा रहे हैं। फिल्म में पुराने दौर की सादगी और वास्तविकता को फिर से जिंदा किया गया है।

यह फिल्म महिलाओं के संघर्ष, पुरानी परंपराओं, गांव की सादगी और आत्मपरिवर्तन की एक मार्मिक यात्रा है, जिसे देखने के बाद दर्शक अपने आंसू नहीं रोक पाएंगे। जल्द ही यह फिल्म सिनेमाघरों में दस्तक देगी और यकीनन उत्तराखंड की सिनेमा इंडस्ट्री में एक नया मुकाम बनाएगी।

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