उत्तरकाशी का नाम उत्तरकाशी कैसे पड़ा – एक पवित्र नगर की कहानी
                                उत्तराखंड के सुंदर पहाड़ी जिलों में से एक है उत्तरकाशी, जो गंगा नदी के किनारे बसा हुआ है। यह जगह अपने धार्मिक महत्व, मंदिरों और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस जिले का नाम “उत्तरकाशी” क्यों पड़ा? आइए जानते हैं इसके पीछे की कहानी—
काशी से जुड़ा नाम
कहा जाता है कि भारत में दो प्रसिद्ध “काशी” हैं — एक वाराणसी (जो गंगा नदी के किनारे उत्तर प्रदेश में स्थित है) और दूसरी उत्तरकाशी, जो उत्तर दिशा में स्थित है। क्योंकि यह पवित्र नगरी वाराणसी की तरह गंगा तट पर बसी है, इसलिए इसे “उत्तर दिशा की काशी” कहा गया। इसी कारण इस स्थान का नाम पड़ा उत्तरकाशी।
धार्मिक समानताएँ
वाराणसी की तरह ही उत्तरकाशी में भी विश्वनाथ मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है। वाराणसी के काशी विश्वनाथ की तरह यहाँ के शिवलिंग को भी उतना ही पवित्र माना जाता है। इसके अलावा, दोनों जगहों पर गंगा बहती है और दोनों ही तीर्थ स्थलों का धार्मिक महत्व समान माना जाता है।
पुराणों में उल्लेख
प्राचीन धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में उत्तरकाशी का वर्णन “उत्तर दिशा की काशी” के रूप में मिलता है। कहा जाता है कि यहाँ साधु-संत ध्यान और तपस्या करने आते थे, और उन्होंने इस स्थान की तुलना काशी से की थी।
भक्ति और आस्था की भूमि
उत्तरकाशी सिर्फ एक नाम नहीं, बल्कि भक्ति, अध्यात्म और शांति का प्रतीक है। यहाँ की घाटियाँ, मंदिर और गंगा की पवित्र धारा हर यात्री को आत्मिक सुकून देती हैं।


इस तरह “उत्तरकाशी” का नाम इसलिए पड़ा क्योंकि यह वाराणसी की तरह गंगा किनारे बसा एक पवित्र नगर है, जो उत्तर दिशा में स्थित है। दोनों ही जगहों पर भगवान शिव का वास माना जाता है, इसलिए इसे प्रेम और श्रद्धा से “उत्तर दिशा की काशी” कहा गया।





