यूपी में आशा कार्यकर्ता करा रही धर्म परिवर्तन: ऑनलाइन चंगाई सभा का नया तरीका, सरनेम न बदलने की दो बड़ी वजहें
उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले से चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां आशा कार्यकर्ता धर्म परिवर्तन कराने के काम में शामिल बताई जा रही हैं। खास बात यह है कि अब धर्मांतरण के बाद लोगों के सरनेम नहीं बदले जा रहे हैं। इसके पीछे दो बड़ी वजहें सामने आई हैं —
पहली, धर्म परिवर्तन करने वाले अब अपने ही समाज में रहते हुए काम कर रहे हैं, जिससे पहचान उजागर नहीं होती।
दूसरी, सरकारी कागज़ों में कोई बदलाव नहीं करना पड़ता, इसलिए वे पहले की तरह सरकारी योजनाओं, आरक्षण और अन्य लाभ उठा रहे हैं।
ऑनलाइन चंगाई सभा से जुड़ रहे लोग
जौनपुर में पुलिस की सख्ती के कारण अब ऑनलाइन चंगाई सभा आयोजित की जा रही है। पहले ये सभाएं खुले में या घरों में होती थीं, लेकिन अब मोबाइल के ज़रिए रविवार और शुक्रवार को मुंबई से इनका संचालन किया जाता है।
इन सभाओं में नए लोगों को जोड़ा जाता है और “प्रभु यीशु के नाम पर प्रार्थना” कराई जाती है।
आशा कार्यकर्ता की भूमिका
एक स्थानीय आशा कार्यकर्ता खुद धर्म परिवर्तन कर चुकी हैं और अब दूसरों को भी जोड़ने का काम कर रही हैं। उन्होंने बताया — “मेरी पहचान वही है, बस एक लॉकेट पहनती हूं जो कपड़ों के अंदर रहता है। सरनेम बदलने की कोई ज़रूरत नहीं है।”
वह यह भी कहती हैं कि, “नम बदलने की ज़रूरत नहीं, अपने घर में प्रार्थना करो, जब चाहो सभा में शामिल हो जाओ, तब बाइबल और धार्मिक किताबें मिलेंगी।”

वाराणसी में हो रही सभाएं
जौनपुर में सख्ती के बाद अब कई लोग वाराणसी के भुल्लनपुर इलाके में जाकर सभाओं में शामिल होते हैं। पिछले हफ्ते लगभग 250 से 300 लोग वहां एक सभा में शामिल हुए थे। अब हर रविवार इन सभाओं में जाने की तैयारी रहती है।
परिवारों पर असर
सुल्तानपुर और आस-पास के जिलों में भी ऐसे कई परिवार हैं जो बपतिस्मा (धार्मिक शपथ) ले चुके हैं और अब यीशु की उपासना करते हैं। शुरुआत में वे घर पर इकट्ठा होकर प्रार्थना करते थे, लेकिन अब पुलिस की सख्ती के बाद हर कोई अपने-अपने घर में ही प्रार्थना करता है।
मिशनरियों का नया लक्ष्य
पुलिस की जांच में पता चला है कि अब मिशनरियों का टारगेट फर्स्ट जनरेशन (पहली पीढ़ी) के लोग हैं। वे सीधे गरीब या दलित परिवारों को नहीं जोड़ते, बल्कि उनके बच्चों को शिक्षा, शादी या इलाज के नाम पर आर्थिक मदद देकर धीरे-धीरे धर्म परिवर्तन की ओर ले जाते हैं।
हर व्यक्ति को जोड़ने के बदले ₹25,000 से ₹50,000 तक का कमीशन दिया जाता है।
खुला धर्मांतरण रेट और सभाओं की प्रक्रिया
धर्म परिवर्तन करा चुके कुछ लोगों के अनुसार, एक व्यक्ति को धर्म बदलवाने पर ₹25,000 तक दिए जाते हैं।
इन सभाओं में लोगों को “यीशु के नाम का पानी” पिलाया जाता है और बाइबल के उपदेश सुनाए जाते हैं।
ये सभाएं हर गुरुवार सुबह और शाम एक-एक घंटे चलती हैं, जिनमें दर्जनों लोग शामिल होते हैं।
पूर्वांचल के कई जिलों — जौनपुर, वाराणसी, सुल्तानपुर और आसपास के इलाकों में धर्मांतरण का तरीका अब और अधिक गुप्त और संगठित हो गया है।
सरनेम न बदलने और सरकारी योजनाओं का लाभ जारी रखने की वजह से यह प्रक्रिया पहचान में नहीं आ पाती।
पुलिस की सख्ती के बावजूद, ऑनलाइन माध्यम से धर्म परिवर्तन का यह नेटवर्क लगातार फैलता जा रहा है।






