प्रदेश में संचालित नशा मुक्ति केंद्र और मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों के लिए सख्त कानून नियम लागू करने के लिए सिस्टम के पास वक्त नहीं है | इतने सख्त नियमों के बाद भी घटनाएं कम होने का नाम ही नहीं ले रही है |
प्रदेश भर में 116 पंजीकृत नशा मुक्ति केंद्र हैं। इसमें अकेले देहरादून जिले में 84 केंद्र चल रहे हैं। इसके साथ ही जो भी व्यक्ति मानसिक रूप से रोगी है उसके लिए प्रदेश सरकार ने जुलाई 2023 में पहली बार मानसिक स्वास्थ्य नियमावली लागू करने को मंजूरी दी | इससे पहले प्रदेश में संचालित नशा मुक्ति केंद्रों पर किसी तरह का नियंत्रण नहीं था।

नशा मुक्ति केंद्रों के संचालन के लिए सख्त नियम है, और इन नियमो का उल्लंघन करने पर पांच से 50 हजार रुपये जुर्माना, दूसरी बार में दो लाख और बार-बार उल्लंघन पर पांच लाख जुर्माना किया जाएगा |
और जिन कर्मचारियों का पंजीकरण नहीं हुआ है वह फिर भी यदि नशा मुक्ति केंद्र में कम करते है तो उनको 25 हजार का जुर्माने का प्रावधान किया गया | यदि कोई व्यक्ति नियमों का उल्लंघन करता है, तो ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति को पहली बार में छह माह की जेल या 10 हजार रुपये जुर्माना, बार-बार उल्लंघन पर दो वर्ष की जेल या 50 हजार से पांच लाख रुपये जुर्माना का प्रावधान है।
डॉक्टर के परामर्श पर ही नशामुक्ति केंद्रों में मरीज को रखा जाएगा और डिस्चार्ज किया जाएगा। इसके अलावा नशा मुक्ति केंद्रों को फीस, ठहरने, खाने का मेन्यू प्रदर्शित करना होगा। मरीजों के इलाज के लिए चिकित्सक, मनोचिकित्सक को रखना होगा। मानसिक रोगी को परिजनों से बात करने के लिए फोन की सुविधा दी जाएगी। इसके अलावा कमरों में एक बेड से दूसरे बेड की दूरी भी निर्धारित की गई है।