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लाटेश्वर मंदिर की अपनी अनोखी कहानी

लाटेश्वर मंदिर : लाटेश्वर मंदिर उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के बडाबे गांव के पास स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है | और एक गुफा में स्थित है | मंदिर के अंदर एक जलस्रोत भी है, जो गुफा के भीतर से बहता है|

इस जलस्रोत की अपनी एक अलग कहानी भी है कहा जाता है की इस जल में स्नान करने से त्वचा रोग से मुक्ति मिलती है और हकलाने की समस्या भी दूर हो जाती है |

मंदिर के बारे में एक पौराणिक कथा है कि एक बार युद्ध के दौरान भगवान शिव की जीभ कट गई थी, जिससे वे लाटा देवता के रूप में प्रसिद्ध हुए | लाटेश्वर मंदिर पिथौरागढ़ शहर से 25 किलोमीटर दूर बड़ाबे गांव में है | यहां पर पहुंचने के लिए आपको पिथौरागढ़ से स्थानीय टैक्सी मिल जाएगी |

बड़ाबे गांव, प्रकृति की गोद में बसा है और इसके चारो तरफ हरियाली और नीले आसमान का अद्भुत नजारा दिखता है. यह इलाका पर्यटन के लिहाज से भी काफी मायने रखता है. यहीं पर थल केदार नाम का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल भी है, जो भगवान शिव को समर्पित है. थल केदार में भगवान शिव के दर्शन करने के बाद उनके गण लटेश्वर बाबा के दर्शन करने को जरूरी माना गया है. थल केदार से लगभग 2500 फीट की ढलान पर एक दुर्गम मार्ग को पार करने के बाद लटेश्वर नामक मंदिर आता है | लटेश्वर मंदिर लोगो की आस्था का केंद्र बना हुआ है |

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