सिनेमा के सच्चे शिल्पकार: एम.आई. राज ला रहे हैं उत्तराखंड की जमीन से जुड़ी कहानियां

सिनेमा के सच्चे शिल्पकार: जब सिनेमा केवल मनोरंजन न रहकर समाज का आइना बन जाए, तो उसके पीछे एक असाधारण कलाकार की साधना होती है। एम. आई. राज ऐसे ही एक सच्चे सिने-साधक हैं, जिन्होंने पिछले तीन दशकों से भी अधिक समय में कहानी कहने की कला को एक मिशन का रूप दिया है।

1986 में अपने करियर की शुरुआत करते हुए, एम. आई. राज ने भारतीय फिल्म उद्योग के हर रंग को नजदीक से जिया है।

उन्होंने चंद्रा बारोट जैसे दिग्गज निर्देशक, जिनकी फिल्म ‘डॉन’ आज भी एक मील का पत्थर मानी जाती है, और विजय रेड्डी जैसे क्रिएटिव मास्टर से, जिनकी ‘तेरी मेहरबानियां’ आज भी दिलों में बसी है, निर्देशन की बारीकियां सीखी। हिंदी, बंगाली, पंजाबी और कन्नड़ भाषाओं की 25 से अधिक फिल्मों में अपने हुनर की अमित छाप छोड़कर उन्होंने खुद को एक बहुआयामी सिनेमा कलाकार के रूप में स्थापित किया।

वर्ष 2000 में एम. आई. राज ने टेलीविजन की दुनिया में कदम रखा और ‘शेखचिल्ली’ , ‘जमीर’, ‘तलाश’ जैसे लोकप्रिय धारावाहिको का निर्देशन किया। स्वतंत्र लेखन के रूप में भी उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई। इसी दौरान उन्होंने हिंदी फीचर फिल्म ‘एक और विस्फोट’ का निर्देशन किया, जो नगर पालिका आयुक्त खेरनार के कार्यशैली से प्रेरित थी। और जिसे सराहना मिली।’

इसके बाद एम. आई. राज ने भोजपुरी सिनेमा में कदम रखा, जब यह उद्योग अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा था। उन्होंने रवि किशन, निरहुआ, पवन सिंह और खेसारी लाल जैसे लोकप्रिय सितारों के साथ ‘अपन माटी अपन देश’ , ‘दिल’, ‘केहु हमसे जीत न पाई’,‘कट्टा तनल दुपट्टा पर’, ‘आतंकवादी’, ‘आई मिलन की रात’, जैसी हिट फिल्में दी, जिससे भोजपुरी सिनेमा को नहीं ऊंचाइयां मिली।

उनकी दूरदर्शिता, लिखनी की गहराई और अथक परिश्रम के लिए उन्हें कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। लेकिन उनके सफर की सबसे बड़ी उपलब्धि रही — सच्ची और सार्थक कहानियों को जन-जन तक पहुंचाने की उनकी अटूट प्रतिबद्धता।

अब, जब सिनेमा का परिदृश्य तेजी से बदल रहा है और दर्शकों की अपेक्षाएं नई ऊंचाइयों को छू रही है, एम. आई.राज एक नई शुरुआत के लिए तैयार है। उत्तराखंड की मिट्टी, वहां की कहानी और वहां के सपने अब उनके सिनेमा के केंद्र में होंगे। उनका मकसद सिर्फ फिल्में बनाना नहीं है बल्कि समाज में संवाद और सकारात्मक बदलाव की एक नई लहर पैदा करना है।

उत्तराखंडी फिल्म इंडस्ट्री में एम.आई. राज का आगमन न केवल नहीं संभावनाओं के द्वारा खोलेगा, बल्कि यह भी साबित करेगा कि जब अनुभव और जुनून एक साथ चलते हैं, तू सिनेमा केवल पर्दे पर नहीं बल्कि दिलों में भी जादू रचता है।

एम.आई. राज— एक नाम, एक विरासत, जो अब एक नई कहानी लिखने को तैयार है।

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