“आज का चंद्रग्रहण: समय, आस्था, विज्ञान और जीवन में अपनाने योग्य सावधानियाँ”

आज का दिन बेहद खास है क्योंकि आकाश में एक ऐसा अद्भुत खगोलीय नज़ारा दिखाई देने वाला है, जिसे इंसान जीवन में गिनती की ही बार देख पाता है। 7 सितम्बर 2025, रविवार की रात को भारत सहित पूरी दुनिया में पूर्ण चंद्रग्रहण लगेगा। इस ग्रहण की खासियत यह है कि यह साल 2025 का दूसरा और आख़िरी चंद्रग्रहण है और सबसे लंबा भी है। जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा एक सीधी रेखा में आ जाते हैं और पृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है, तभी चंद्रग्रहण बनता है। यह दृश्य एक ओर वैज्ञानिक दृष्टि से अद्भुत है तो दूसरी ओर धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।
चंद्रग्रहण का समय
सूतक काल की शुरुआत: दोपहर 12:57 बजे से
ग्रहण का आरंभ: रात 9:58 बजे
पूर्ण चंद्रग्रहण का मध्य (सर्वाधिक प्रभाव): रात 11:00 बजे से 12:22 बजे तक
ग्रहण की समाप्ति: रात 2:25 बजे
कुल अवधि: लगभग 3 घंटे 29 मिनट
यह ग्रहण भारत, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश सहित एशिया, अफ्रीका, यूरोप और अमेरिका के कई हिस्सों से दिखाई देगा। भारत में यह ग्रहण पूर्ण रूप से दिखाई देने के कारण इसका सूतक काल भी मान्य होगा।
सूतक काल और इसका महत्व
भारतीय ज्योतिष में ग्रहण के 9 घंटे पहले से सूतक काल शुरू हो जाता है। सूतक को अशुभ समय माना जाता है। इसका कारण यह है कि चंद्रमा पर छाया पड़ने से उसकी ऊर्जा और चांदनी पर असर पड़ता है। चूंकि चंद्रमा मन और भावनाओं का कारक है, इसलिए ग्रहण काल में मानसिक अस्थिरता और नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ सकता है। यही वजह है कि सूतक काल में पूजा-पाठ, भोजन और शुभ कार्यों से परहेज़ करने की परंपरा रही है।
क्या करें
1. ग्रहण से पहले पूजा-पाठ करें – मंदिरों और घरों में भगवान का स्मरण, आरती, मंत्र जाप पहले ही कर लें।
2. ग्रहण के दौरान ध्यान और जप – यह समय मंत्रोच्चारण और ध्यान साधना के लिए शुभ माना जाता है। “ॐ नमः शिवाय”, “ॐ गं गणपतये नमः” या संतान रक्षा मंत्र का जाप विशेष फलदायी होता है।
3. तुलसी और कुश का उपयोग – ग्रहण के पहले खाने-पीने की चीज़ों में तुलसी पत्र डाल दें ताकि भोजन सुरक्षित और शुद्ध बना रहे।
4. ग्रहण के बाद स्नान और दान – ग्रहण समाप्त होने पर स्नान करके घर की शुद्धि करें और अनाज, वस्त्र या चांदी जैसे दान करें।
5. ध्यान और मौन – ग्रहण को आध्यात्मिक साधना का समय माना गया है। इस दौरान मौन रहना और ध्यान करना मन को शांति और ऊर्जा देता है।
क्या न करें
1. भोजन से परहेज़ – ग्रहण और सूतक काल में भोजन करना अशुभ माना जाता है।
2. पूजा-पाठ और मूर्ति स्पर्श वर्जित – इस समय मंदिरों के कपाट बंद रहते हैं। मूर्तियों को स्पर्श करना भी वर्जित है।
3. नए कार्य की शुरुआत न करें – घर में नया काम, खरीददारी या कोई शुभ कार्य जैसे विवाह, नामकरण आदि ग्रहण काल में टालना चाहिए।
4. गर्भवती महिलाओं के लिए सावधानी – मान्यता है कि गर्भवती स्त्रियों को ग्रहण के समय घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए और न ही तेज़ या धारदार वस्तु जैसे चाकू, कैंची, सुई का प्रयोग करना चाहिए।
5. अनावश्यक यात्रा से बचें – ग्रहण काल में बाहर निकलना या अनावश्यक यात्रा करना उचित नहीं माना जाता।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से चंद्रग्रहण
विज्ञान की नज़र से देखें तो चंद्रग्रहण एक प्राकृतिक घटना है। जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आकर उसकी छाया चंद्रमा पर डालती है तो चंद्रमा का प्रकाश धुंधला पड़ जाता है और वह लालिमा लिए दिखाई देता है। इसे ब्लड मून भी कहते हैं। यह घटना हमें बताती है कि ब्रह्मांड कितना विशाल और अद्भुत है।
वैज्ञानिक मानते हैं कि ग्रहण का मानव शरीर पर कोई सीधा नकारात्मक असर नहीं होता, परंतु प्राचीन परंपराओं में इसके धार्मिक और सामाजिक महत्व को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
ज्योतिषीय प्रभाव
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह ग्रहण कुंभ राशि और शतभिषा नक्षत्र में पड़ रहा है। इसलिए इसका असर इन राशियों पर अधिक देखा जा सकता है।
मेष, वृषभ, सिंह, वृश्चिक और मकर राशि के लिए यह ग्रहण शुभ फल देने वाला हो सकता है।
मिथुन, तुला, कुंभ और कर्क राशि वालों को विशेष सावधानी बरतने की ज़रूरत है।
धनु और मीन राशि के लिए यह समय संतुलन और धैर्य का संदेश देता है।
ग्रहण और परंपराएँ

भारत में ग्रहण केवल खगोलीय घटना ही नहीं बल्कि आस्था और संस्कृति से जुड़ा अवसर भी है। लोग इस समय पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, मंदिरों में विशेष मंत्रोच्चारण होता है और ग्रहण के बाद दान-पुण्य करने की परंपरा रही है। माना जाता है कि इस समय किया गया दान कई गुना फल देता है।
ग्रहण के बाद की शुद्धि विधि
1. ग्रहण समाप्त होने पर तुरंत स्नान करें।
2. घर में गंगाजल का छिड़काव करें।
3. मंदिर जाकर भगवान का दर्शन करें।
4. ज़रूरतमंद को भोजन या वस्त्र दान करें।
5. मानसिक शांति के लिए ध्यान और प्रार्थना करें।

आज का चंद्रग्रहण केवल एक खगोलीय घटना नहीं बल्कि आस्था, संस्कृति और ज्योतिष से जुड़ा विशेष अवसर है। एक ओर यह हमें ब्रह्मांड की अद्भुत व्यवस्था की याद दिलाता है, वहीं दूसरी ओर हमें आत्मचिंतन, साधना और दान-पुण्य के महत्व का बोध कराता है।
इस ग्रहण के दौरान यदि हम परंपराओं का पालन करें, सकारात्मक सोच के साथ ध्यान और प्रार्थना करें, तो यह ग्रहण हमारे जीवन में शांति, शक्ति और सद्बुद्धि लाने वाला साबित हो सकता है।
