कौन हैं भारत के नए उपराष्ट्रपति, जानिए उनकी भूमिका और जिम्मेदारियाँ”

1. कौन बने भारत के उपराष्ट्रपति?
9 सितंबर, 2025 को आयोजित उपराष्ट्रपति चुनाव में सी.पी. राधाकृष्णन निर्वाचित हुए। उन्होंने 452 वोट प्राप्त किए, जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी, पूर्व सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीश बी. सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट प्राप्त हुए। रिजल्ट की घोषणा पी.सी. मोदी, राज्यसभा सचिव-सचिव (Returning Officer) ने की।
यह चुनाव विशेष चुनाव था क्योंकि इससे पहले नियुक्त उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जुलाई 2025 में स्वास्थ्य कारणों से अपना पद त्याग दिया था।
सी.पी. राधाकृष्णन अब भारत के 15वें उपराष्ट्रपति हैं और इस पद का कार्यभार सम्भालेंगे।
2. उपराष्ट्रपति की भूमिका और जिम्मेदारियाँ
(क) संवैधानिक महत्व का पद
उपराष्ट्रपति भारत का दूसरा उच्चतम संवैधानिक पद होता है। यह राष्ट्रपति के बाद आता है और उन्हें अनुपस्थिति, असमर्थता या पद रिक्ति की स्थिति में कार्यवाहक राष्ट्रपति की जिम्मेदारी सौंपता है।
(ख) राज्यसभा के सभापति (Chairman of Rajya Sabha)
उपराष्ट्रपति राज्यसभा के ex-officio अध्यक्ष होते हैं। वे सदन की कार्यवाही का संचालन करते हैं, सदस्यों को बोलने का समय देते हैं, नियमों का पालन करवाते हैं एवं सदन में अनुशासन और गरिमा बनाए रखते हैं।
यदि वे राष्ट्रपति का कार्यभार संभालने लगते हैं, तो इस स्थिति में उनका राज्यसभा का पदस्थापन समाप्त हो जाता है, और राज्यसभा की कार्यवाही उपसभापति द्वारा चलती है।
(ग) विश्वविद्यालयों की उपाध्यायता (Chancellor)
उपराष्ट्रपति कई प्रमुख विश्वविद्यालयों के ex-officio Chancellor होते हैं—जैसे कि पञ्जाब विश्वविद्यालय, दिल्ली विश्वविद्यालय, और पुड्डुचेरी विश्वविद्यालय। इसके अतिरिक्त वे Indian Institute of Public Administration के अध्यक्ष भी होते हैं।
(घ) चुनाव प्रक्रिया एवं शर्तें
उपराष्ट्रपति का चुनाव सांसदों के बीच गुप्त मतदान द्वारा होता है (लोकसभा और राज्यसभा के सभी निर्वाचित व नामित सदस्य), अनुपातात्मक प्रतिनिधित्व एवं एकल अंतरणीय मत प्रणाली का उपयोग करके।
उपराष्ट्रपति बनने के लिए आवेदक को भारत का नागरिक होना चाहिए, न्यूनतम आयु 35 वर्ष और उसे राज्यसभा का सदस्य बनना योग्य होना चाहिए। उन्हें किसी लाभकारी पद पर कब्ज़ा नहीं होना चाहिए।
(ङ) कार्यकाल, इस्तीफा, और हटाना
उपराष्ट्रपति का कार्यकाल पाँच वर्ष का होता है, लेकिन वे अपने उत्तराधिकारी के पद ग्रहण तक कार्यरत रह सकते हैं।
उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इस्तीफा दे सकते हैं। उन्हें हटाया भी जा सकता है—राज्यसभा द्वारा प्रस्ताव पारित कर, और लोकसभा द्वारा समर्थन मिलकर।
(च) कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में अधिकार
यदि राष्ट्रपति पद रिक्त हो जाता है या वे असमर्थ हो जाते हैं, तो उपराष्ट्रपति अधिकतम छह महीने तक राष्ट्रपति का कार्यभार संभाल सकते हैं, जब तक नया राष्ट्रपति निर्वाचित नहीं हो जाता। इस दौरान उन्हें राष्ट्रपति का वेतन और सुविधाएँ दी जाती हैं, लेकिन राज्यसभा की अध्यक्षता उनसे छूट जाती है।
3. सी.पी. राधाकृष्णन – एक परिचय और पृष्ठभूमि
जन्म और शिक्षा
राधाकृष्णन का जन्म 20 अक्टूबर 1957 को तिरुपुर, तमिलनाडु में हुआ। उन्होंने वी.ओ. चिदंबरम कॉलेज, तूतीकोरिन से बी.बी.ए. (व्यवसाय प्रबंधन में स्नातक) की पढ़ाई पूरी की। कॉलेज दिनों में वे टेबल टेनिस चैंपियन भी रहे, जो उनकी अनुशासन और खेल कौशल का परिचायक है।
राजनीतिक और प्रशासनिक अनुभव
राधाकृष्णन आर.एस.एस. और जनसंघ से जुड़कर 16 वर्ष की उम्र से सक्रिय राजनीति में हैं। वे पूर्व में दो बार सांसद (Coimbatore से), भाजपा तमिलनाडु अध्यक्ष, कोइर बोर्ड अध्यक्ष, झारखंड और महाराष्ट्र में राज्यपाल जैसे पदों पर रह चुके हैं।
उपराष्ट्रपति चुनाव 2025
भाजपा-नेता जे.पी. नड्डा ने उन्हें NDA का उम्मीदवार घोषित किया (17 अगस्त 2025)। उन्होंने 452 वोट के साथ जीत हासिल की और बी. सुदर्शन रेड्डी को 300 वोट से हराया।
भारत के संवैधानिक ढांचे में उपराष्ट्रपति का पद एक संतुलनकारी और आवश्यक भूमिका निभाता है—राज्यसभा के अध्यक्ष, राष्ट्रपति के कार्यवाहक, विश्वविद्यालयों के अधिपति और संवैधानिक उत्तराधिकारी के रूप में। सी.पी. राधाकृष्णन इस जिम्मेदारियों से लैस और अनुभव से संपन्न नेता हैं।
उनकी जीत एक नई शुरुआत है—एक ऐसा पदाधिकारी जो लोकतांत्रिक विधायिका और संवैधानिक संस्थाओं के बीच संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।


