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दिल्ली में बढ़ता मलेरिया संकट: एक हफ्ते में दोगुनी हुई मरीजों की संख्या, डेंगू ने भी बढ़ाई चिंता

दिल्ली में मौसम बदलते ही बीमारियों का प्रकोप बढ़ने लगता है। इस बार राजधानी में मलेरिया और डेंगू दोनों ने मिलकर लोगों की परेशानी बढ़ा दी है। पिछले एक हफ्ते में मलेरिया के मरीजों की संख्या दोगुनी हो गई है, जबकि डेंगू के मामलों में भी तेज़ी से इजाफा देखा जा रहा है। अस्पतालों में बुखार के मरीजों की लंबी कतारें देखने को मिल रही हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह संक्रमण का मौसम है और थोड़ी सी लापरवाही गंभीर खतरा बन सकती है।

बदलते मौसम और मच्छरों का खतरा

दिल्ली में सितंबर के आखिर और अक्टूबर की शुरुआत में तापमान में गिरावट के साथ ही मच्छरों के पनपने का खतरा बढ़ जाता है। बारिश के बाद जगह-जगह जमा पानी मच्छरों के लिए सबसे उपयुक्त माहौल बनाता है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, मलेरिया फैलाने वाला एनोफिलीज मच्छर और डेंगू फैलाने वाला एडीज मच्छर इन दिनों तेजी से बढ़ रहे हैं।

नगर निगम की रिपोर्ट बताती है कि पिछले एक हफ्ते में मलेरिया के 100 से अधिक नए मामले सामने आए हैं, जबकि इससे पहले के हफ्ते में यह संख्या लगभग 50 थी। वहीं, डेंगू के मामलों की संख्या भी अब 2000 के करीब पहुंच गई है। यह पिछले साल के मुकाबले काफी ज्यादा है।

अस्पतालों में बढ़ रही भीड़

दिल्ली के प्रमुख सरकारी और निजी अस्पतालों में इन दिनों बुखार के मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। सफदरजंग, लोक नायक जयप्रकाश नारायण (LNJP), और आरएमएल जैसे अस्पतालों में रोजाना सैकड़ों लोग तेज बुखार, सिरदर्द, और कमजोरी की शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं।
अस्पतालों के डॉक्टरों का कहना है कि हर चार में से एक मरीज को मलेरिया या डेंगू की पुष्टि हो रही है। कई मरीजों में दोनों संक्रमण एक साथ पाए जा रहे हैं, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो जाती है।

मलेरिया और डेंगू के लक्षण

मलेरिया और डेंगू दोनों के शुरुआती लक्षण काफी हद तक एक जैसे होते हैं — तेज़ बुखार, सिरदर्द, ठंड लगना, बदन दर्द और थकान। लेकिन इन दोनों में कुछ अंतर भी है —

मलेरिया के लक्षण: ठंड लगकर तेज बुखार आना, पसीना आना, जोड़ों में दर्द, खून की कमी और कभी-कभी उल्टी।

डेंगू के लक्षण: तेज़ बुखार के साथ आंखों के पीछे दर्द, शरीर पर लाल दाने, प्लेटलेट्स की कमी, और कई बार नाक या मसूड़ों से खून आना।

डॉक्टरों के अनुसार, अगर किसी को लगातार तीन दिन से बुखार है और आराम के बाद भी स्थिति नहीं सुधर रही, तो तुरंत ब्लड टेस्ट कराना चाहिए।

दिल्ली नगर निगम की रिपोर्ट

दिल्ली नगर निगम (MCD) के स्वास्थ्य विभाग की साप्ताहिक रिपोर्ट में बताया गया है कि मलेरिया के मरीजों की संख्या एक हफ्ते में लगभग दोगुनी हो गई है। अब तक साल 2025 में करीब 400 से अधिक मलेरिया के मामले दर्ज किए जा चुके हैं। वहीं, डेंगू के मरीजों की संख्या 1900 से 2000 के बीच पहुंच चुकी है।

स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि कई इलाकों में पानी भरने और सफाई की कमी के कारण मच्छरों का प्रकोप बढ़ा है। दक्षिणी, पश्चिमी और पूर्वी दिल्ली के कई हिस्सों में सबसे अधिक मामले दर्ज किए गए हैं।

लोगों की लापरवाही भी जिम्मेदार

स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि प्रशासन लगातार मच्छर नियंत्रण अभियान चला रहा है, लेकिन लोगों की लापरवाही के कारण संक्रमण फैल रहा है। कई घरों में कूलर, गमले, छतों पर रखे टब या टंकी में पानी जमा रहता है, जो मच्छरों का घर बन जाता है।
मच्छर अंडे देने के लिए बहुत कम मात्रा में पानी की भी जरूरत होती है। इसलिए सिर्फ सरकारी प्रयासों से नहीं, लोगों की भागीदारी से ही इस बीमारी पर काबू पाया जा सकता है।

बचाव के आसान उपाय

मलेरिया और डेंगू से बचाव के लिए कुछ सरल लेकिन जरूरी कदम अपनाने चाहिए —

  1. घर और आस-पास पानी जमा न होने दें।
  2. कूलर या टंकी का पानी हर 3 दिन में बदलें।
  3. पूरी आस्तीन के कपड़े पहनें ताकि मच्छर काट न सकें।
  4. घर में और बाहर मच्छर भगाने वाली क्रीम या स्प्रे का इस्तेमाल करें।
  5. दरवाजे और खिड़कियों पर मच्छरदानी या जाली लगाएं।
  6. बुखार, सिरदर्द या कमजोरी महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। विशेषज्ञों की राय

AIIMS के एक वरिष्ठ डॉक्टर के अनुसार, “मलेरिया और डेंगू दोनों ही संक्रमण अगर शुरुआती चरण में पकड़ लिए जाएं, तो इलाज से पूरी तरह ठीक हो सकते हैं। लेकिन लापरवाही से प्लेटलेट्स घटने, खून की कमी और लिवर पर असर जैसी गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं।”

उन्होंने बताया कि इन दिनों लोगों को सेल्फ-मेडिकेशन से बचना चाहिए, क्योंकि कई बार गलत दवा लेने से स्थिति और बिगड़ जाती है। सही जांच और इलाज ही इस मौसम में सबसे जरूरी है।

सरकार की तैयारियां

दिल्ली सरकार और नगर निगम ने मच्छरजनित बीमारियों पर नियंत्रण के लिए कई कदम उठाए हैं।

स्कूलों और सरकारी दफ्तरों में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है।

घरों की जांच टीमों द्वारा की जा रही है, ताकि पानी जमा न हो।

हर जिले में रैपिड रेस्पॉन्स टीम तैयार की गई है।

अस्पतालों में अतिरिक्त बेड और दवाओं का स्टॉक सुनिश्चित किया गया है।

हालांकि स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि केवल सरकारी कोशिशों से बात नहीं बनेगी, जब तक नागरिक खुद भी जिम्मेदारी नहीं लेंगे।

सावधानी ही बचाव है

अक्टूबर से नवंबर तक का समय दिल्ली में मच्छरजनित बीमारियों के लिए सबसे संवेदनशील माना जाता है। इस दौरान तापमान और नमी का संतुलन मच्छरों के लिए आदर्श माहौल बनाता है। ऐसे में जरुरी है कि लोग अपनी सुरक्षा के प्रति जागरूक रहें।
स्वच्छता, साफ पानी और समय पर जांच ही इस बीमारी से बचाव का सबसे मजबूत उपाय है।

दिल्ली में मलेरिया और डेंगू का बढ़ता खतरा सिर्फ एक स्वास्थ्य समस्या नहीं, बल्कि एक सामाजिक जिम्मेदारी का विषय भी है। हर व्यक्ति अगर अपने घर और आसपास सफाई रखे, तो बीमारी की जड़ वहीं खत्म हो सकती है।
सरकार, प्रशासन और जनता — तीनों को मिलकर इस मौसम में जागरूक रहना होगा। क्योंकि थोड़ी सी सावधानी, बड़ी बीमारी से बचा सकती है।

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