सीपी राधाकृष्णन बने देश के नए उपराष्ट्रपति
भारत के राजनीतिक परिदृश्य में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला है। लंबे समय से चल रही चर्चाओं और चुनावी प्रक्रिया के बाद अब देश को नया उपराष्ट्रपति मिल गया है। भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने यह चुनाव जीतकर उपराष्ट्रपति पद संभालने की तैयारी पूरी कर ली है।
शपथ ग्रहण समारोह
राष्ट्रपति भवन में शुक्रवार सुबह 10 बजे शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन होगा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उन्हें पद की शपथ दिलाएंगी। यह एक ऐतिहासिक पल होगा क्योंकि राधाकृष्णन न केवल संवैधानिक रूप से देश के दूसरे सबसे बड़े पद पर आसीन होंगे, बल्कि संसद के उच्च सदन यानी राज्यसभा के सभापति के रूप में भी अपनी जिम्मेदारियां निभाएंगे।
समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, कैबिनेट के कई मंत्री, विपक्ष के प्रमुख नेता और देश की विभिन्न हस्तियां मौजूद रहेंगी। खास बात यह है कि पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, जिन्होंने अचानक इस्तीफा दिया था, पहली बार सार्वजनिक रूप से सामने आ सकते हैं।
चुनावी जीत
9 सितंबर को हुए उपराष्ट्रपति चुनाव में सीपी राधाकृष्णन ने इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार और पूर्व जस्टिस बी. सुदर्शन रेड्डी को हराया। इस मुकाबले में राधाकृष्णन को स्पष्ट बहुमत मिला और उन्होंने 152 मतों के अंतर से जीत दर्ज की। यह जीत राजग के लिए एक बड़ी सफलता मानी जा रही है।

धनखड़ का इस्तीफा
21 जुलाई को उस समय देश चौंक गया था जब तत्कालीन उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक इस्तीफा दे दिया। उनके इस्तीफे की वजह को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई गईं, लेकिन आधिकारिक तौर पर कोई स्पष्ट कारण सामने नहीं आया। इसी खाली पद को भरने के लिए नए चुनाव की प्रक्रिया शुरू हुई थी।
सीपी राधाकृष्णन का राजनीतिक सफर
सीपी राधाकृष्णन का जन्म 4 अप्रैल 1957 को हुआ था। वे लंबे समय से भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हुए हैं। दो बार लोकसभा सांसद रह चुके राधाकृष्णन ने पार्टी संगठन में भी महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं। उन्हें एक ईमानदार, सरल और साफ-सुथरी छवि वाले नेता के रूप में जाना जाता है।
तमिलनाडु से आने वाले राधाकृष्णन ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत छात्र राजनीति से की और धीरे-धीरे राष्ट्रीय राजनीति तक पहुंचे। भाजपा ने उन्हें कई बार जिम्मेदारियां दीं और उन्होंने हर बार पार्टी के विश्वास पर खरा उतरते हुए मेहनत से काम किया।
उपराष्ट्रपति पद की जिम्मेदारियां
भारत का उपराष्ट्रपति न केवल देश का दूसरा सबसे बड़ा संवैधानिक पद होता है, बल्कि राज्यसभा का सभापति भी होता है। इसका मतलब है कि उन्हें उच्च सदन को निष्पक्ष और व्यवस्थित तरीके से चलाने की बड़ी जिम्मेदारी मिलेगी। आने वाले समय में संसद के सत्रों में उनकी भूमिका बेहद अहम रहेगी।
सीपी राधाकृष्णन की यह जीत उनके लंबे राजनीतिक अनुभव और जनता के विश्वास का नतीजा है। अब पूरे देश की निगाहें उन पर टिकी होंगी कि वे उपराष्ट्रपति के रूप में किस तरह अपने कर्तव्यों का पालन करते हैं। शपथ ग्रहण समारोह न केवल संवैधानिक परंपराओं का पालन होगा बल्कि यह एक नए राजनीतिक अध्याय की शुरुआत भी होगी।







