भारत की नई शिक्षा निति क्या है जानिए : भारत में शिक्षा प्रणाली को लेकर एक नई पहल की शुरुआत की गई है। केंद्र सरकार ने हाल ही में एक नया प्रस्ताव पारित किया है जिसके तहत स्कूली शिक्षा को अधिक व्यावहारिक और रोजगारोन्मुख बनाया जाएगा। इस बदलाव का उद्देश्य विद्यार्थियों को केवल किताबी ज्ञान नहीं, बल्कि जीवन के लिए आवश्यक कौशल भी प्रदान करना है।
नई शिक्षा नीति का विस्तार
नई नीति के तहत कक्षा 6 से ही विद्यार्थियों को स्किल-बेस्ड कोर्स जैसे कोडिंग, फाइनेंशियल लिटरेसी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डिजिटल मार्केटिंग जैसी शिक्षा दी जाएगी। इससे छात्र न केवल तकनीकी रूप से सक्षम बनेंगे, बल्कि भविष्य में नौकरी और स्वरोजगार के लिए भी तैयार होंगे।

राष्ट्रीय शिक्षा डिजिटल मिशन
सरकार ने ‘राष्ट्रीय शिक्षा डिजिटल मिशन’ की भी घोषणा की है, जिसमें पूरे देश के विद्यार्थियों को एक समान डिजिटल प्लेटफॉर्म पर ई-लर्निंग सामग्री दी जाएगी। इससे ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को भी शहरी सुविधाओं जैसा ज्ञान मिल सकेगा।

शिक्षकों की भूमिका में बदलाव
नई व्यवस्था में शिक्षकों को सिर्फ पढ़ाने तक सीमित नहीं रखा गया है। उन्हें छात्रों के लिए मार्गदर्शक और मेंटर की भूमिका में देखा जा रहा है। इसके लिए उन्हें विशेष प्रशिक्षण भी दिया जाएगा जिससे वे नई तकनीकों और शिक्षण विधियों में दक्ष हो सकें।

छात्रों की प्रतिक्रिया
नई प्रणाली को लेकर छात्रों में उत्साह देखा जा रहा है। दिल्ली के एक सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली छात्रा ने बताया, “अब पढ़ाई बोरिंग नहीं लगती, हम चीजों को प्रैक्टिकली सीखते हैं और समझते हैं कि यह हमारे भविष्य के लिए कैसे उपयोगी है।”

विपक्ष की राय
हालांकि कुछ विपक्षी दलों ने इस नीति पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में संसाधनों की कमी को देखते हुए यह नीति सफल नहीं हो पाएगी। सरकार का जवाब है कि वह इन चुनौतियों को भी प्राथमिकता के साथ हल करेगी।


निष्कर्ष
भारत की शिक्षा प्रणाली में यह बदलाव एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है। अगर यह योजना सफल रही, तो आने वाले वर्षों में देश में न केवल शिक्षित युवाओं की संख्या बढ़ेगी, बल्कि उनमें आत्मनिर्भरता की भावना भी पैदा होगी। इससे भारत को एक ‘नॉलेज सुपरपावर’ बनने की दिशा में मदद मिलेगी।