आइए आज हम बात करते है एक महान भारतीय संत, दार्शनिक और देशभक्त के बारे में , जी का स्वामी विवेकानंद जी के बारे में ,यूँ तो स्वामी विवेकानंद जी के बारे में जितना लिखो उतना कम है, क्यूंकि विवेकानंद जी न ही केवल देशभक्त थे बल्कि सभी के लिए एक प्रेरणा का सत्रोत भी थे , या यूँ कहे की आज भी है |
स्वामी विवेकानंद का जन्म कोलकाता में 12 जनवरी 1863 में हुआ था | विवेकानंद जी का बचपन का नाम नरेंद्रनाथ दत्त था |उनके पिता का नाम विश्वनाथ दत्त था | जो की पेशे से वकील थे , और उनकी माता का नाम भुवनेश्वरी देवी धार्मिक विचारों वाली महिला थी |

स्वामी विवेकानंद जी के गुरु रामकृष्ण परमहंस थे, जिनसे उनकी मुलाकात 1881 में हुई | विवेकानंद जी ने रामकृष्ण परमहंस से होकर 25 वर्ष की उम्र में संन्यास ले लिया था | और उनका नाम स्वामी विवेकानंद पड़ा |
स्वामी विवेकानंद ने 1897 में कोलकाता में रामकृष्ण मिशन की स्थापना की, जिसका उद्देश्य शिक्षा, सामाजिक कल्याण और वेदांत दर्शन का प्रचार करना है | उन्होंने सभी को शिक्षा के महत्त्व को समझाया | स्वामी विवेकानंद ने अपने विचारों से दुनिया भर में लोगों को प्रभावित किया |
स्वामी विवेकानंद के अनमोल विचार :
- उठो, जागो और तब तक नहीं रुको जब तक लक्ष्य ना प्राप्त हो जाये।
- ब्रह्मांड की सभी शक्तियां हमारे अंदर हैं। यह हम ही हैं जिन्होंने अपनी आंखों के सामने हाथ रखा है और रोते हुए कहा कि अंधेरा है।
- किसी की निंदा ना करें, अगर आप मदद के लिए हाथ बढ़ा सकते हैं, तो ज़रुर बढाएं। अगर नहीं बढ़ा सकते, तो अपने हाथ जोड़िये, अपने भाइयों को आशीर्वाद दीजिये, और उन्हें उनके मार्ग पे जाने दीजिये।
- बाहरी प्रकृति केवल आंतरिक प्रकृति बड़ी है।
- सच को कहने के हजारों तरीके हो सकते हैं और फिर भी सच तो वही रहता है।
- इस दुनिया में सभी भेद-भाव किसी स्तर के हैं, ना कि प्रकार के, क्योंकि एकता ही सभी चीजों का रहस्य है।
- जब कोई विचार अनन्य रूप से मस्तिष्क पर अधिकार कर लेता है तब वह वास्तविक भौतिक या मानसिक अवस्था में परिवर्तित हो जाता है।
- जितना हम दूसरों के साथ अच्छा करते हैं उतना ही हमारा हृदय पवित्र हो जाता है और भगवान उसमें बसता है।
- यदि स्वयं में विश्वास करना और अधिक विस्तार से पढाया और अभ्यास कराया गया होता, तो मुझे यकीन है कि बुराइयों और दुःख का एक बहुत बड़ा हिस्सा गायब हो गया होता।
स्वामी विवेकानंद ने अपनी मृत्यु तक रामकृष्ण मिशन और वेदांत दर्शन के प्रचार के लिए काम किया | और
4 जुलाई 1902 को बेलूर मठ में इन महान देशप्रेमी की मृत्यु हो गई | स्वामी विवेकानंद की शिक्षाएं आत्म-ज्ञान, दूसरों की सेवा और सभी धर्मों की एकता पर जोर देती हैं |
