बढ़ता अध्यात्म का आकर्षण: आधुनिक जीवनशैली की आपाधापी के बीच अब लोग एक बार फिर अध्यात्म की ओर लौटने लगे हैं। बड़े शहरों से लेकर छोटे कस्बों तक, ध्यान, योग, साधना और आत्मिक जागरूकता को लेकर लोगों में रुचि तेजी से बढ़ रही है। विशेषज्ञ मानते हैं कि कोरोना महामारी के बाद लोगों ने जीवन के गहरे अर्थों की तलाश शुरू कर दी है, और यही उन्हें अध्यात्म की ओर खींच रहा है।
बढ़ता अध्यात्म का आकर्षण: ध्यान केंद्रों और आश्रमों में बढ़ रही भीड़
देशभर के योग व ध्यान केंद्रों में पिछले एक साल में प्रतिभागियों की संख्या दोगुनी हो गई है। ऋषिकेश, हरिद्वार, वाराणसी और आंध्रप्रदेश के तिरुपति जैसे धार्मिक स्थलों पर न केवल भारतीय श्रद्धालु आ रहे हैं, बल्कि विदेशों से भी लोग आत्मिक शांति की खोज में भारत पहुंच रहे हैं।
एक साधना केंद्र की संचालिका साध्वी प्रज्ञा भारती कहती हैं, “अब लोग यह समझने लगे हैं कि असली सुख मोबाइल, धन या स्टेटस में नहीं, बल्कि स्वयं को जानने और समझने में है।”

बढ़ता अध्यात्म का आकर्षण: कॉरपोरेट दुनिया भी अपना रही अध्यात्म
दिलचस्प बात यह है कि अब कॉरपोरेट कंपनियाँ भी कर्मचारियों के लिए मेडिटेशन सेशन, रिट्रीट और मोटिवेशनल स्पीच आयोजित करवा रही हैं। टाटा, विप्रो और कई मल्टीनेशनल कंपनियाँ कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य और कार्य संतुलन के लिए अध्यात्मिक उपायों को बढ़ावा दे रही हैं।

बढ़ता अध्यात्म का आकर्षण: सोशल मीडिया बना माध्यम
आध्यात्मिक गुरु और विचारक अब सोशल मीडिया के ज़रिए लाखों लोगों तक पहुँच बना रहे हैं। यूट्यूब चैनल, इंस्टाग्राम लाइव और पॉडकास्ट के ज़रिए युवाओं में भी इस विषय को लेकर जागरूकता बढ़ी है।

बढ़ता अध्यात्म का आकर्षण: विशेषज्ञों की राय
मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. भावना श्रीवास्तव का कहना है, “अध्यात्मिकता से जुड़ना तनाव, अवसाद और चिंता जैसे मानसिक रोगों से लड़ने में कारगर हो सकता है। यह जीवन में स्थिरता और स्पष्टता लाता है।”
निष्कर्ष
तेज़ी से बदलती दुनिया में, जब बाहरी उपलब्धियाँ भी खालीपन छोड़ जाती हैं, तब लोग अध्यात्म का सहारा ले रहे हैं। यह केवल धार्मिक मान्यता नहीं, बल्कि जीवन को भीतर से समझने और जीने की कला बनता जा रहा है।