लद्दाख हिंसा: सोनम वांगचुक की रिहाई के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुँचीं पत्नी गीतांजलि
लद्दाख के चर्चित पर्यावरण कार्यकर्ता और शिक्षा सुधारक सोनम वांगचुक को हाल ही में हुई लद्दाख हिंसा के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत हिरासत में लिया गया था। अब उनकी पत्नी गीतांजलि जे. आंगमो ने इस गिरफ्तारी को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका

गीतांजलि ने 2 अक्टूबर को संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत याचिका दाखिल की है। इसमें उन्होंने कहा कि वांगचुक की गिरफ्तारी गैरकानूनी है और उनकी तुरंत रिहाई होनी चाहिए। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि उन्हें अभी तक हिरासत आदेश की प्रति नहीं दी गई है, जो कानून का सीधा उल्लंघन है। इसके साथ ही उन्होंने यह शिकायत भी की कि उन्हें अपने पति से अब तक संपर्क तक नहीं कराया गया।
याचिका वकील सर्वम रीतम खरे के माध्यम से दाखिल की गई है। इसमें कहा गया है कि एनएसए जैसे कड़े कानून का इस्तेमाल वांगचुक जैसे शांतिप्रिय और सामाजिक कार्यकर्ता पर करना न्यायसंगत नहीं है।
लद्दाख हिंसा और गिरफ्तारी
24 सितंबर को लद्दाख में राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल किए जाने की मांग को लेकर बड़े स्तर पर प्रदर्शन हुआ था। इस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प हो गई। झड़प इतनी हिंसक थी कि चार लोगों की मौत हो गई और करीब 90 लोग घायल हो गए।
इन घटनाओं के दो दिन बाद यानी 26 सितंबर को प्रशासन ने सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA/रासुका) के तहत हिरासत में ले लिया। इसके बाद उन्हें राजस्थान की जोधपुर जेल भेज दिया गया।
पत्नी का आरोप – यह साजिश है
गीतांजलि ने इस पूरे मामले को एक साजिश करार दिया है। उन्होंने कहा कि पुलिस महानिदेशक (DGP) द्वारा दिए गए बयान झूठे और बनावटी हैं। गीतांजलि के अनुसार, यह सब एक सोची-समझी योजना के तहत किया गया है ताकि किसी को बलि का बकरा बनाकर प्रशासन अपनी मनमानी कर सके।
उन्होंने कहा – “सिर्फ मैं ही नहीं बल्कि पूरा लद्दाख इन आरोपों को खारिज करता है। यह कहानी गढ़ी गई है, ताकि लोगों का ध्यान असली मुद्दों से भटकाया जा सके और निर्दोष लोगों को फंसाया जा सके।”
क्यों उठ रही है सवाल
सोनम वांगचुक लंबे समय से लद्दाख को विशेष दर्जा दिलाने और पर्यावरण संरक्षण जैसे मुद्दों पर आवाज उठाते रहे हैं। उनकी लोकप्रियता और लोगों पर गहरी पकड़ को देखते हुए कई लोग मानते हैं कि उन्हें चुप कराने के लिए यह कदम उठाया गया है।
कानूनी विशेषज्ञ भी सवाल उठा रहे हैं कि जब मामला सिर्फ विरोध प्रदर्शनों और प्रशासनिक असहमति से जुड़ा था, तो फिर एनएसए जैसे कड़े कानून की ज़रूरत क्यों पड़ी?

आगे क्या होगा?
अब पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट में है। शीर्ष अदालत इस पर सुनवाई कर सकती है और यह तय करेगी कि सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी कानून के मुताबिक है या नहीं। अगर कोर्ट को लगेगा कि प्रशासन ने प्रक्रिया का पालन नहीं किया, तो वांगचुक को राहत मिल सकती है।
लद्दाख हिंसा के बाद हालात लगातार तनावपूर्ण बने हुए हैं। एक तरफ प्रशासन सुरक्षा और कानून-व्यवस्था का हवाला दे रहा है, वहीं दूसरी ओर वांगचुक समर्थक और उनकी पत्नी इसे पूरी तरह साजिश बता रहे हैं। अब सबकी नज़र सुप्रीम कोर्ट पर है, जो तय करेगा कि सोनम वांगचुक जेल में रहेंगे या फिर उन्हें रिहाई मिलेगी।






