Breaking
Thu. Jun 19th, 2025

Uttarakhand Politics : पहली पांत की जड़ें हिलीं, दूसरी की जम नहीं पाईं, जानें क्या कहते हैं राजनीतिक विशेषज्ञ!

Uttarakhand: सत्ता से बाहर आठ साल के वनवास ने कांग्रेस नेताओं को पैदा करने वाली नर्सरी माने जाने वाली एनएसयूआई, युवा कांग्रेस सरीखे संगठनों को लुंज-पुंज बना दिया है। इन संगठनों में अब वैसा जोश, उत्साह और सक्रियता नहीं दिखती जो एक दशक पहले दिखाई देती थी।

उत्तराखंड प्रदेश की सत्ता में वापसी के लिए जूझ रही कांग्रेस में पहली पांत के नेताओं को अपनी हिलती जड़ों को संभालना मुश्किल हो रहा है। दुर्भाग्य से उनकी जगह लेने के लिए पार्टी की दूसरी पांत भी जड़ें नहीं जमा पा रही हैं। इस दोहरी चुनौती के साथ पार्टी को 2027 के विधानसभा चुनाव में उतरना है।

उत्तराखंड रजनितिक विशेषज्ञों का मानना है कि पार्टी के क्षत्रपों की छाया में दूसरी पांत पनप नहीं पा रही है। सत्ता से बाहर होने के कारण दूसरी पंक्ति के नेताओं में भी पार्टी की बड़ी भूमिका लेने में कोई खास दिलचस्पी दिखाई नहीं देती है। विधानसभा, लोकसभा व निकाय चुनाव में मिली हार के बाद अब कांग्रेस में सत्ता की वापसी के लिए छटपटाहट दिख रही है। लेकिन पार्टी में नेताओं की दूसरी पांत सक्रिय नहीं है। Uttarakhand

जानकारों का मानना है कि आगामी विधानसभा चुनाव में उतारने के लिए कांग्रेस के पास वही पुराने चेहरे होंगे, जिन्हें वह राजनीतिक अनुभव के आधार पर प्रत्याशी बनाएगी। पिछले आठ साल से कांग्रेस प्रदेश में सत्ता से बाहर है। इस अवधि में पार्टी के भीतर से कोई मजबूत और लोकप्रिय युवा चेहरा उभर कर सामने नहीं आ पाया। पार्टी फोरम पर जिन युवा चेहरों को पेश किया गया, वे परिवारवाद की कांग्रेसी परंपरा से निकले हैं।Uttarakhand

जोश, उत्साह और सक्रियता नहीं दिखती Uttarakhand

जानकारों का मानना है कि कांग्रेस के भीतर कई चेहरों ने पार्टी के अनुसांगिक संगठनों के जरिए परिवारवाद के इस कवच को तोड़कर सांगठनिक फोरम पर अपनी जगह बनाने की कोशिश की लेकिन वे नाकाम रहे। सत्ता से बाहर आठ साल के वनवास ने कांग्रेस नेताओं को पैदा करने वाली नर्सरी माने जाने वाली एनएसयूआई, युवा कांग्रेस सरीखे संगठनों को लुंज-पुंज बना दिया है। इन संगठनों में अब वैसा जोश, उत्साह और सक्रियता नहीं दिखती जो एक दशक पहले दिखाई देती थी। राजनीतिक प्रेक्षकों का कहना है कि जब तक कांग्रेस अपनी सांगठनिक ताकत जुटाएगी, तब तक चुनावी मोर्चों पर उसके भाग्य में सिर्फ संघर्ष ही लिखा होगा।Uttarakhand

Read More

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *