Uttarakhand Culture:उत्तराखंड की संस्कृति उसके लोक नृत्य जैसे कि छोलिया लोक संगीत भाषा और परंपराएं हमारी असलियत है जब हम अपनी संस्कृति को खो देते हैं तो हम अपनी पहचान भी खो देते हैं। अगर आज हम अपनी संस्कृति को नहीं बचाएंगे तो हमारे बच्चे सिर्फ किताबों में पढ़ेंगे की कभी ऐसा भी हुआ करता था और शायद किताबों में भी नहीं पढ़ पाएंगे क्योंकि हमारी संस्कृति के बारे में तो कहीं लिखा भी नहीं है Uttarakhand Culture
उन्हें अपने मूल से जुड़े रहने का अवसर भी नहीं मिलेगा। उत्तराखंड की लोक संस्कृति दुनिया भर के लोगों को आकर्षित करती है और अगर हम इसे जिंदा रखते हैं तो लोक नृत्य लोकगीत और परंपराएं पर्यटक आकर्षण करते हैं जो संस्थाएं लोगों को रोजगार देती है और जो आर्थिक विकास में योगदान करती है। Uttarakhand Culture
हमारी संस्कृति में जीवन जीने का एक तरीका है। प्रकृति के प्रति सम्मान समाज में एकता और परंपरा में छुप गया जिसे हमें सामाजिक और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध बनते है। आज का समय वेस्टर्न प्रभाव का है यदि हम अपनी लोक संस्कृति को नहीं बचा पाएंगे तो यह बड़े शहरों और डिजिटल दुनिया के दबाव में लापता हो जाएंगे
Uttarakhand Culture: जाती के हिसाब से मंदिर क्यों?
हमें अपनी भाषाओं को घर-घर तक फिर से ले जाना होगा। और इसे बचाने के लिए हमें सबसे पहले एक समूह में जाना पड़ेगा। हम जाति व भाषा के आधार पर अपनी संस्कृति को और अपनी बोलियां को, अपनी चीजों को, अपनी जगह को ,अपनी रीति-रिवाज को, अपने देवी देवताओं को, अलग कर चुके। पहाड़ में अक्सर देखा गया है की जाति के हिसाब से भी मंदिर बनाए जाते हैं। नीचे जाति वालों के लिए एक अलग मंदिर होता है जहां उन्हें सामान्य मंदिर में प्रवेश करना वर्जित होता है। Uttarakhand Culture

हमें अपने बच्चों को और आने वाली पीढ़ी को तोहफा देने के लिए एक दूजे से जुड़े रहना और अपने-अपने परंपराओं को महसूस करवाना है। संस्कृति सिर्फ इतिहास नहीं होती वह एक जीवन धरोहर होती है जिसे जीना पड़ता है महसूस करना पड़ता है Uttarakhand Culture